रोग का असर, फसल में खराबा
किसानों की मानें तो अनार में पंखुड़ी और टिकड़ी रोग का असर देखने को मिल रहा है। पंखुड़ी रोग के प्रभाव से झाड़ी से फूल गिर जाते हैं, जिससे फल देरी से तैयार होता है। दूसरी तरफ टिकड़ी रोग के प्रभाव से फल में अंदर तक रोग फैल जाता है और अनार खराब हो जाता है। इस बार दोनों ही रोगों का प्रभाव है।यहां तक फैला है व्यापार
हर साल जीवाणा में 12 से 15 बड़ी मंडियां लगती हैं, जो देश के कोने कोने तक और विदेशों तक क्वालिटी अनार को भेजती हैं। मुख्य रूप से गल्फ कंट्री में जालोर जिले की मंडी से अनार को भेजा जाता है।क्वालिटी के कारण बनाई पहचान
बेहतर क्वालिटी और साइज के कारण यहां के अनार की खास डिमांड है। यहां 100 ग्राम से लेकर 500 ग्राम के अनार का प्रोडक्शन है, 15 से 20 दिन तक खराब नहीं होती है, जो एक्सपोर्ट क्वालिटी है।बड़ा उत्पादन का केंद्र जालोर
लगभग 70 हजार टन अनार का प्रोडक्शन जीवाणा और जालोर जिले के अलग अलग क्षेत्रों से होता है। अनार का व्यापार दिसंबर से फरवरी के बीच होता है और एक अनुमान के अनुसार 800 से 1 हजार करोड़ तक का कारोबार जिले से हो जाता है। बता देें केवल जीवाणा क्षेत्र में ही 3000 हैक्टेयर से अधिक एरिया में अनार की खेती हो रही है, जो हर साल बढ़ती जा रही है।इनका कहना
पिछले एक साल से अनार की पैदावार ले रहा हूं, अच्छा मुनाफा हर साल हो रहा है, लेकिन इस साल रोग के प्रकोप से उत्पादन प्रभावित हुआ है और आवक भी प्रभावित हो रही है।- जितेन्द्र सिंह दुदवा, किसान
- गेबाराम चौधरी, किसान, जालमपुरा
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