जालोर

चिकित्सा विभाग का नवाचार, ये नया एप रखेगा डेंगू-मलेरिया पर डिजिटल तरीके से नियंत्रण

घरों के अन्दर मच्छरों के प्रजनन पर नियंत्रण डोमेस्टिक ब्रीडिंग चैकर (डीबीसी) की ओर से ओडीके एप मरूधर के माध्यम से किया जाएगा।

जालोरJul 22, 2024 / 04:27 pm

Akshita Deora

बरसात के दिनों में मलेरिया व डेंगू के मच्छर काटने से लोग बीमार हो सकते है। मलेरिया व डेंगू रोग से बचाव तथा मच्छरों के प्रजनन स्थलों पर ब्रीडिंग रोकने के लिए चिकित्सा विभाग अब डिजिटल तरीका अपनाएगा। इसके लिए एक ओडीके एप तैयार किया गया है। इसके ओडीके ऐप-वैक्टर बोर्न डिजीज, ओडीके ऐप-सुधार, ओडीके ऐप-मरूधर तीन भाग है। सीएमएचओ डॉ. विकास मारवाल ने बताया कि ओडीके एप-वैक्टर बोर्न डिजीज के माध्यम से फील्ड स्टाफ पानी के स्रोतों की फोटो खींचकर जीओ टेगिंग (लोकेशन) के साथ एप पर अपलोड करते है। इससे स्वायत्त शासन विभाग व पंचायतीराज विभाग को स्थिति का पता लगता है। ये विभाग मच्छरों को पनपने नहीं देने के लिए दवा छिड़काव आदि क्रियाकलाप करते है। इस एप से तुरन्त सूचना का आदान-प्रदान होने के साथ सही लोकेशन भी पता लग जाती है।
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ओडीके एप सुधार से यह होगा

ओडीके एप सुधार के माध्यम से सड़क पर पड़े कचरे, नाला/नाली सफाई नहीं होने, पानी का नालियों में एकत्रित होने, सडक व अन्य स्थान पर गड्ढ़ों में पानी भरने, खाली प्लॉट में कचरा/पानी होने, बडे जल स्रोतों (तालाब/पोखर/बावडी) में कचरा/गंदगी होने, घर के बाहर पानी के अन्य स्रोत टंकी, मटका, टायर, डिब्बा आदि में लार्वा की उपस्थिति तथा अन्य स्थान/पात्र जहां जमा पानी की स्थिति के शिकायतों का निस्तारण किया जाएगा। शहरी क्षेत्र की प्राप्त शिकायतों का निस्तारण स्वायत्त शासन विभाग एवं ग्रामीण क्षेत्र की प्राप्त शिकायतों का निस्तारण पंचायती राज विभाग करेगा। इसी ऐप में शिकायतों से पूर्व का फोटोग्राफ व निस्तारण के पश्चात् का फोटोग्राफ जिओ टेगिंग के साथ अपलोड किया जाएगा। जिससे शिकायत निवारण की पुष्टि की जा सकेगी।
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ओडीके एप मरुधर का यह उपयोग

घरों के अन्दर मच्छरों के प्रजनन पर नियंत्रण डोमेस्टिक ब्रीडिंग चैकर (डीबीसी) की ओर से ओडीके एप मरूधर के माध्यम से किया जाएगा। इस एप की मदद से घरों के अन्दर की जाने वाली एन्टीलार्वल, एन्टीएडल्ट व सोर्स रिडक्शन की गतिविधियों की रिपोर्ट जिओ टेगिंग के साथ की जाएगी। इसकी मॉनिटरिंग राज्य व जिला स्तर पर की जाएगी। जिले में डीबीसी रखे जाने की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है। डीबीसी की ओर से घरों के अन्दर की गई गतिविधियों के विश्लेषण के आधार पर उच्च जोखिम क्षेत्रों की पहचान की जा सकेगी। जिन क्षेत्रों में जहां मच्छर के लार्वा का घनत्व (एचआई/बीआई) मानक से अधिक होगा। वहां टीमों की संया बढ़ाकर मच्छररोधी गतिविधियां करवाई जाएगी।

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