इससे पूर्व इलेक्ट्रिक इंजन को पिछले दिनों ट्रायल किया गया था। ट्रायल होने के बाद अब पहले स्तर पर गुड्स ट्रेन को चलाया गया है। 223.44 किमी इस सेक्शन के विद्युतीकरण के साथ अब आगामी दिनों में डीजल इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक ट्रेनें निकलेंगी। बता दें इससे पूर्व जालोर-लेटा मार्ग पर आरओबी का काम अधूरा होने से यह ट्रेनों की आवाजाही नहीं हो पा रही थी, जबकि रेलवे के इलेक्ट्रिक सेक्शन से इसके लिए अनुमति जारी की जा चुकी थी। रेलवे सूत्रों की मानें तो आगामी दिनों में सभी श्रेणी में ट्रेनों का विद्युतीकरण हो जाएगा। साथ ही डीजल इंजन विदा हो जाएंगे।
विद्युत आपूर्ति का सिस्टम स्थापित
यह पूरा रेल खंड गुजरात से जुड़ा है और यहां प्रतिदिन 40 से 45 गुड्स ट्रेनें और 10 के करीब यात्री गाड़ियों का संचालन हो रहा है। लार्सन एंड टर्बो ने विद्युतीकरण का काम किया है। विद्युतीकरण के कार्य के तहत जगह जगह रेलवे टीएसएस स्थापित किए गए हैं, जिससे पर्याप्त बिजली सप्लाई रेल परिवहन के लिए हो सके।
100 साल में ऐसे बदला सफर
पहले स्तर पर यह रेल खंड उत्तर रेलवे के अंतर्गत आता था। रेल मार्ग की स्थापना अंग्रेजों ने की। उसके बाद रेल खंड जालोर तक बढ़ा। 1929 के बाद से रेल खंड का विस्तार होता गया। शुरुआत से लेकर 90 के दशक तक इस रेल मार्ग पर स्टीम इंजन चलते थे और यह रूट मीटर गेज था। 2009 में ब्रॉडगेज होने से पूर्व ही इस रूट पर डीजल इंजन चलने लग चुके थे। अब करीब 100 साल के सफर में यह रूट इलेक्ट्रिक रूट में तब्दील हो गया है।