किसानों के जिला मुख्यालय पर आने का सिलसिला सवेरे से ही शुरू हो गया था। दोपहर में करीब साढ़े बारह बजे सायला-बागोड़ा की तरफ से किसानों के ट्रैक्टरों के काफिले ने जब शहर में प्रवेश किया तो जाम की स्थिति हो गई। किसान ट्रैक्टर लेकर वन वे से होते हुए नगर परिषद के बाहर व कलक्ट्रेट जाने वाले मार्ग पर पहुंचे व वहां पर अपने ट्रैक्टर खड़े कर दिए। ऐसे में करीब डेढ़ घंटे तक जाम की स्थिति रही। बाद में पुलिस के अधिकारियों की समझाइश पर कलक्ट्रेट के बाहर मुख्य सड़क के महापड़ाव वाले एक भाग पर ट्रैक्टरों को खड़ा करवाया गया।
जालोर में किसानों के महापड़ाव को प्रांत उपाध्यक्ष सोमाराम, जबरसिंह तरवाड़ा, प्रांत युवा प्रमुख खीमसिंह, जिलाध्यक्ष रतनसिंह कानीवाड़ा, सरपंच संघ जिलाध्यक्ष भंवरसिंह थलुंडा, ग्रेनाइट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष लालसिंह धानपुर, व्यापार संघ अध्यक्ष शंकरसिंह बगेड़िया, प्रवीण खंडेलवाल, कृशि मंडी के पूर्व चैयरमैन दीपसिंह धनानी, भरतसिंह राजपुरोहित व परबतसिंह पोषाणा समेत कई वक्ताओं ने संबोधित किया। महापड़ाव को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि जवाई बांध बनने के बाद जवाई नदी में पानी का प्रवाह बंद हो गया है। ऐसे में जवाई नदी के आसपास कुओं का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। जवाई के कैचमेंट एरिया में भी छोटे छोटे बांध बना दिए है। जल नीति 2010 को लागू करने व जवाई बांध के पानी का एक तिहाई हिस्सा भूजल स्तर के रिचार्ज के लिए नदी में छोड़ने की मांग की।
किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खरीफ 2023 की कम्पनी की ओर से 61 पटवार मंडलों की बीच की गई अपीलों को खारिज करने की मांग की गई। वहीं फसल कटाई प्रयोग में सरकारी गाइड लाइन का पालन करने की मांग की। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खड़ी फसल में नुकसान होने पर व्यक्ति क्लेम देने के प्रावधान को भी लागू करने की मांग की। किसान नेताओं ने आदान अनुदान दिलवाने की मांग की। धरने व महापड़ाव में जिलेभर से आए बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे। धरने के बाद किसानों ने नारेबाजी करते हुए विभिन्न मांगों को लेकर कलक्टर से वार्ता कर ज्ञापन सौंपा। किसान संघ के जिलाध्यक्ष रतनसिंह कानीवाड़ा ने बताया कि जब तक कोई मंत्री या राज्य स्तरीय सचिव स्तर का अधिकारी महापड़ाव स्थल पर आकर वार्ता नहीं करेगा, तब तक किसानों का महापड़ाव जारी रहेगा।