जालोर. शहर में जगह-जगह खाली पड़े सरकारी भूखंड अब सुरक्षित नहीं है। पिछले कुछ दिन से कुछ ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें बिना मामलों की पड़ताल किए पट्टाशुदा और निर्माण स्वीकृति के बावजूद लोगों की शिकायतें की जा रही है। जिससे ना केवल भू-स्वामियों को परेशानी हो रही है, बल्कि निमयानुसार हो रहे कामकाज में भी खलल पैदा हो रहा है। ऐसे में शहर में जगह-जगह पड़ी बेशकीमती सरकारी जमीन का सर्वे कर वहां सरकारी संपत्ति का बोर्ड लगाकर उसे सुरक्षित नहीं किया गया तो ये हाथों से जा सकती है। इधर, शहर के आहोर रोड पर कृषि मंडी के पास ही ऐसी सरकारी संपत्ति पर भू-माफियाओं और नगरपरिषद अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण को लेकर शहर के एक पार्षद ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जबकि इस मामले की पूरी पड़ताल की गई तो सच्चाई सामने आने के बाद खुद पार्षद ने ही एसपी को पत्र लिखकर उसकी ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट निरस्त करने की मांग की। 20 फरवरी को दी थी रिपोर्ट शहर के आहो रोड पर भू-माफिया की ओर से अतिक्रमण करने के मामले में गत 20 फरवरी को वार्ड 3 के पार्षद दिनेशकुमार ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया गया था कि भू-माफिया नगरपरिषद अधिकारियों की मिलीभगत से मुख्य मार्ग पर स्थित एक प्याऊ को तोड़कर अवैध रूप से दुकानें बना रहा है, लेकिन जब अधिकारियों ने मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि दानदाता की ओर से इस प्याऊ का अधिकारियों की स्वीकृति से जीर्णोद्धार करवाया जा रहा था। इस पर पार्षद ने एसपी को पत्र लिख रिपोर्ट निरस्त करने की मांग की। लोगों के कहने पर किया गौरतलब है कि इस मामले में पार्षद का कहना है कि आस पास के लोगों के कहने पर उसने बिना कोई पड़ताल किए पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा दी थी। जबकि दुकानों का निर्माण प्याऊ के पास ही स्थित पट्टाशुदा भूमि पर उस भूमि मालिकों की ओर से करवाया जा रहा था। इस तरह बिना पड़ताल के लिए इस तरह बार-बार हो रही शिकायतों से जहां आमजन को परेशानी हो रही है। वहीं नगरपरिषद की साख पर भी सवाल लग रहे हैं। पत्रिका ने किया था आगाह गौरतलब है कि इस संबंध में पत्रिका ने ‘अवैध कब्जों के लिए चक्कर काट रहे दलाल व भूमाफियाÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया गया था कि नगरपरिषद के कारिंदे नौसीखियों की तरह काम कर रहे हंै। बिना किसी वेरिफिकेशन या तथ्यों को जांचे ही पुराने पट्टाधारकों यहां तक की 3 दशक से पुराने निर्मित हुए मकान मालिकों के घरों तक पहुंच चुके हैं। जबकि इन भवनों की स्वीकृतियों में बकायदा ब्लू प्रिंट और पट्टों की पत्रावलियां तक शामिल है। इसके बावजूद मनमर्जी से कुछ कार्मिक व पार्षद अपने स्तर पर ही इस नियम विरुद्ध काम को अंजाम दे रहे हैं, जो जांच का विषय है। क्या ऐसे विकट हालात हो चुके हैं परिषद के गत २२ फरवरीकी देर रात भी हुए ऐसे ही एक घटनाक्रम में सबसे रोचक तथ्य यह रहा कि पट्टाशुदा जमीन के बारे में बिना तथ्य जुटाए ही ना केवल नगरपरिषद के पार्षद ने शिकायत की, बल्कि पालिका के अधिकारी और कुछ कार्मिक भी वहां तक पहुंच गए। जबकि पहले स्तर पर उन्हें स्वयं के दस्तावेज जांचने की जरूरत थी। ऐसे सीधे तौर पर यह माना जा सकता है कि परिषद के वर्तमान हालात ऐसे हो चुके हैं कि उसे खुद की संपत्ति के दस्तावेजों के बारे में भी जानकारी नहीं है। जो एक बड़े खतरे के संकेत दे रहे हैं। वहीं कुछ कारिंदे नगरपरिषद की साख पर भी बट्टा लगा रहे हैं।
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Hindi News / Jalore / पहले लोगों के कहने पर लिखाई रिपोर्ट, सच्चाई सामने आई तो हटा पीछे