जालोर

शिशु वार्ड में बच्चों के पास उड़ती रही चिंगारियां, रहे डरे-सहमे

शिशु वार्ड में बच्चों को पलंग से उतार-उतार कर आयरन रेलिंग लगाने का काम किया गया। वेल्डिंग से निकलती चिंगारियां व घरघराती आवाज से बच्चे डरे रहे।

जालोरMay 23, 2018 / 03:58 pm

Dharmendra Kumar Ramawat

जालोर मातृ एवं शिशु कल्याण केंद्र के शिशु वार्ड में काम करता श्रमिक

जालोर.
मातृ एवं शिशु कल्याण केंद्र के शिशु वार्ड में मंगलवार को पलंगों पर आयरन रेलिंग लगाई गई। कहने को यह रूटीन वर्क था, लेकिन चालू वार्ड में बच्चों को पलंग से उतार-उतार कर काम किया गया। वेल्डिंग से निकलती चिंगारियां व घरघराती आवाज से बच्चे डरे-सहमे से रहे सो अलग। वार्ड में दिनभर यह काम चलता रहा। कारीगर एक-एक बच्चे को पलंग से उतारता गया और रेलिंग लगाता रहा। इससे बीमार बच्चों की स्थिति और बिगड़ी रही। वार्ड में रेलिंग, बोल्ट, पलंग के गद्दे आदि जहां-तहां बिखरे पड़े रहे। वार्ड में दिनभर इसी तरह से काम चलता रहा, लेकिन किसी अधिकारी ने न तो वार्ड का रूख किया और न ही बच्चों की सुध ली।
हादसा होने पर चेते
जानकारी के अनुसार निमोनिया से पीडि़त रणछोडऩगर निवासी एक बच्चे को करीब पखवाड़ेभर पहले यहां भर्ती किया गया था। रात को करवट बदलते समय वह पलंग से नीचे गिर गया। हादसे में उस बालक को चोटें आई। परिजनों ने शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद पलंग के एक किनारे पर रेलिंग लगाने का काम शुरू किया गया।
नजरंदाज कर रहे जिम्मेदार
आमतौर पर शिशु वार्ड में लगाए जाने वाले पलंग के एक किनारे पर रेलिंग लगी रहती है, लेकिन यहां ऐसा नहीं था। स्थानीय व उच्च अधिकारी भी अक्सर अस्पताल के दौरे पर रहते हैं, लेकिन बगैर रेलिंग के इन पलंगों पर किसी की नजर नहीं गई। ऐसे में एक बच्चा हादसे का शिकार हो गया। जानकार लोग बताते हैं पहले भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया।
बच्चों की हालत खराब होती रही
नियमानुसार मरीजों के लिए शांत वातावरण की जरूरत रहती है, लेकिन वार्ड में ही पूरी अनदेखी की गई। रेलिंग लगाने से पहले पलंग से उतार कर बच्चों को कुछ देर अलग बैठाया गया। इससे बच्चों की हालत खराब होती रही। वेल्डिंग से पहले पलंग की घिसाई करने से उड़ी डस्ट ने बीमार एवं कमजोर इम्यूनिटी पॉवर के बच्चों को बेहाल कर दिया।
रेलिंग लगाई है…
वार्ड में पलंग से एक बच्चा गिर जाने के बाद आयरन रेलिंग लगाने का आदेश दिया था। वार्ड में बच्चे भर्ती थे पर श्रमिक काम करता रहा।
डॉ. मुकेश चौधरी, शिशु वार्ड प्रभारी, एमसीएच, जालोर
 

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