दरअसल, आरोपियों के सामने मानसिंह परिहार के घर दोनों मां बेटी अपने काम में व्यस्त थी। तभी अचानक अनिल ने आकर मानसिंह के दरवाजे की कुंडी बजाई और बाहर आने की आवाज दी तभी मीरा देवी ने दरवाजा खोला, तभी अनिल ने घर में घुसकर मीरा देवी पर हमला कर दिया। हमले में आरोपी के पास चाकू नुमा सरिए से प्राणघातक हमला किया, जिससे मीरा देवी गंभीर रूप से घायल हो गई तभी मां के चिल्लाने की आवाज सुनकर बीच-बचाव करने पुत्री सोनम आई जिसे भी गंभीर चोट लगी, जिन्हें तत्काल उरई राजकीय चिकित्सालय ले जाया गया। जहां डॉक्टर ने लापरवाही पूर्वक इलाज किया प्राथमिक उपचार के तुरंत बाद उन्हें जिला स्तर पर रेफर नहीं करते हुए अपने घर कोटरा भेज दिया।
इसके बाद भी कोटरा पुलिस ने फरियादियों का बयान दर्ज नहीं किया। इसी बीच 15 व 16 की रात्रि को अचानक फरियादी मीरा देवी की तबीयत अचानक खराब हुई उन्हें चोट लगी थी वहां बिलीडिंग होने लगी, जिससे महिला की स्थिति बिगड़ते हुए उन्हें वापस चिकित्सालय स्वास्थ्य केंद्र ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया।
मामला रफा-दफा करने का किया जा रहा प्रयास
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कोटरा थाना में फरियादी मीरा देवी जब घायल अवस्था में बातचीत कर रही थी तभी पुलिस ने बयान भी दर्ज नहीं किया गया। साथ ही मृतका की बेटी सोनम चश्मदीद के बयान लिखित रूप में लिए गए, जिसकी रिसीव प्रतिलिपि भी थाना कोटरा से नहीं दी गई जबकि फरियादी परिवार मान सिंह परिहार की पुत्री सोनम परिहार का कहना है कि संपूर्ण घटना में आरोपी की मां भी सम्मिलित थी मगर उनके बड़े पुत्र अरुण पटेरिया पुलिस विभाग होमगार्ड में कार्यरत हैं इसलिए दबाव बनाकर मामला रफा-दफा एवं अपनी मां को बचाने के प्रयास में हैं जब भी फरियादी थाने में अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं तो उन्हें सही जानकारी नहीं दी जाती है।
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परिजनों ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग
पुलिस के इस प्रकार के रवैया से पीड़ित परिवार काफी दुखी है। जानकारी है कि आरोपी के विरुद्ध पूर्व में भी थाना कोटरा में शिकायत दर्ज है लेकिन उस शिकायत को पुलिस द्वारा गंभीरता से लिया जाता तो इतनी बड़ी घटना को अंजाम नहीं मिलता। पीड़ित परिवार ने आरोपी की मां एवं उसके भाई द्वारा बेवजह दबाव बनाने की जिला प्रशासन एवं उरई क्षेत्रीय खंड अधिकारी व उच्च अधिकारियों से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ताकि फरियादी को न्याय मिल सके।