जिलाधिकारी ने की करियर प्रोग्राम की शुरुआत सितंबर 2017 में जिलाधिकारी डॉक्टर मन्नान अख्तर ने जालौन की कमान संभाली थी। गरीब वर्ग के मेधावी छात्र छात्राओं को अच्छी शिक्षा देने के माध्यम से उन्होंने वर्ष 2018 में करियर प्रोग्राम की शुरुआत की थी। करियर प्रोग्राम का उद्देश्य रहा है कि गरीब वर्ग के बच्चे भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करके अपने भविष्य की नींव को मजबूत बना सकें। इसमें उन्होंने माध्यमिक शिक्षा विभाग का सहयोग लिया। इसमें जिला विद्यालय निरीक्षक भगवत पटेल को निर्देश दिए कि कोचिंग शुरू की जाए। युवा अधिकारी के साथ जिलाधिकारी ने भी कमान संभाली और कुछ ही समय में जालौन करियर प्रोग्राम सफलता की सीढ़ी चढ़ने लगा। इस मॉडल को देखकर शिक्षा विभाग ने इसे मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिलने के बाद प्रदेश भर में इसे मॉडल के रूप में लागू किए जाने की घोषणा की।
13 छात्रों ने क्वालिफाई की लोअर पीसीएस परीक्षा पूरे प्रदेश में जालौन कैरियर प्रोग्राम के शुरू होने से जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर ने कहा कि यह जिले के लिये गर्व की बात है कि इसे मंडल स्तर से शुरू किया जा रहा है। करियर प्रोग्राम शुरू करने का प्लान उन्हें इस तरह से आया कि एक बार वह स्कूलों में जाकर बच्चों की करियर काउंसलिंग कर रहे थे। उसी में एक बच्ची ने कहा कि उसे भी आगे पढ़ना है, लेकिन धन के अभाव में वह आगे नहीं पढ़ पा रही है। तभी करियर प्रोग्राम शुरू कर ऐसे बच्चों को पढ़ाकर आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
जिलाधिकारी ने कहा कि शिक्षा विभाग के साथ मिलकर इस तरह की योजना की शुरुआत की। आज इस करियर प्रोग्राम में पढ़ने वाले 13 मेधावी छात्र-छात्राओं द्वारा लोअर पीसीएस की परीक्षा पास की गई है, यह जनपद के लिए गर्व की बात है। बता दें कि उरई के उप जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार द्वारा इन छात्रों को प्रतिदिन क्लास दी जाती है। यहां पर सभी जिला स्तरीय अधिकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की तरह एक निर्धारित समय में एक टॉपिक पढ़ाते हैं। कोचिंग क्लास शाम 5 से 7 बजे तक चलती है।
टेस्ट के बाद मिलता है प्रवेश करियर प्रोग्राम कोचिंग में प्रवेश लेने के लिए मेधावियों को टेस्ट देना होता है। उसमें से चयनिच छात्र छात्राओं को कोचिंग में प्रवेश दिया जाता है। 2018 में 30 बच्चों से इसकी शुरुआत हुई थी। वर्ष 2019 में 50 बच्चों को पढ़ाया गया। वर्ष 2020 में संख्या बढ़ी और 60 बच्चों को शिक्षा दी गई।