जैसलमेर

मरु महोत्सव की आवाज बन गए थे जफर खां सिंधी

– तीन दशक से अधिक लम्बा रहा साथ
 

जैसलमेरApr 02, 2023 / 08:07 pm

Deepak Vyas

मरु महोत्सव की आवाज बन गए थे जफर खां सिंधी

जैसलमेर. अपने एक वीडियो में जफर खां सिंधी ने बड़े आत्मविश्वास के साथ यह शेर कहा था, मुझे यकीन है अपने लफ्जों पर, लोग मेरा चेहरा भूल सकते हैं आवाज नहीं…। जोधपुर आकाशवाणी केंद्र के वरिष्ठ उद्घोषक और जैसलमेर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध मरु महोत्सव का तीन दशक से अधिक समय तक अपनी खनकती आवाज में सरस और रोचक अंदाज में संचालन करने वाले जफर खां सिंधी की मृत्यु की खबर पर स्वर्णनगरी जैसलमेर से लेकर सीमांत जिले भर में शोक की लहर व्याप्त हो गई। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर हजारों लोगों ने अपने-अपने अंदाज में जफर खां के फोटो व वीडियो अपलोड कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। गौरतलब है कि जफर खां सिंधी कैंसर जैसी भयावह बीमारी से ग्रस्त होने के बाद साल 2021 से लेकर इस साल फरवरी में संपन्न तीन आयोजनों को छोड़ कर पिछले करीब 30 साल से भी अधिक समय से जैसलमेर में मरु लोक कला-संस्कृति को समर्पित मरु महोत्सव में अपनी आवाज का जादू बिखेरते रहे हैं। उनके निधन की सूचना रविवार सुबह जैसे ही यहां पहुंची, लोगों ने अपनी भावनाएं सोशल मीडिया पर अभिव्यक्त करनी शुरू कर दी। कितने ही लोगों ने जफर खां के साथ अपने फोटो अपलोड कर उन्हें याद किया।
मरु महोत्सव का बन गए थे पर्याय
वर्ष-दर-वर्ष तीन दिवसीय मरु महोत्सव का मखमली और खनकती आवाज में संचालन करने वाले जफर खां एक तरह से इस समूचे आयोजन का ही पर्याय बन गए थे। वे हिंदी और राजस्थानी मिश्रित भाषा में शेरो-शायरी और मारवाड़ी कहावतों के साथ जब कमेंट्री करते तो दर्शक मुग्ध हो जाया करते थे। एक तरह से उन्होंने मरु महोत्सव जैसे आयोजन का पूरा व्याकरण अपने शब्दों में रच दिया था। दर्शक उनके मधुर अंदाज में की जाने वाली टीका-टिप्पणियों का खूब लुत्फ उठाते। वे आयोजन में अहम भूमिका निभाने वालों को ही नहीं, इसमें भाग लेने वाले ऊंटों तक के नाम याद रखते। प्रत्येक कार्यक्रम की जीवंत कमेंट्री करते हुए उसकी विशेषताओं व महत्व को उपस्थित श्रोताओं के समक्ष रखते। उनकी गैरमौजूदगी में विगत वर्षों में जिन उद्घोषकों ने मरु महोत्सव का संचालन किया है, उनमें प्रमुख विजय बल्लाणी ने जफर खां के साथ अपनी यादों को ताजा करते हुए बताया कि वे बहुत ङ्क्षजदादिल और उम्दा किस्म के इंसान थे। साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रतीक जफर खां को राजस्थान विशेषकर पश्चिमी अंचल की एक-एक रीत और परम्परा का विशद् ज्ञान था।

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