आवक क्षेत्र में हुए गड्ढ़ों, हाई-वे सड़क व एनीकट के कारण रुक रहा पानी
पोकरण. वर्षों पूर्व कस्बे के मुख्य पेयजल स्त्रोत के रूप में माने जाने वाले ऐतिहासिक सालमसागर तालाब की पांच वर्ष पूर्व खुदाई करवाई गई, ताकि बारिश के दौरान लबालब पानी भर सके, लेकिन आवक क्षेत्रों में आई बाधाओं ने पानी का इस कदर रोक दिया हैै कि लम्बे समय से तालाब लबालब हो ही नहीं पाया है। दो दिन पूर्व करीब ढाई इंच बारिश के दौरान भी तालाब में नाममात्र का ही पानी पहुंच पाया। जिससे तालाब सूखा ही नजर आ रहा है। गौरतलब है कि रियासतकाल के दौरान तत्कालीन ठाकुर सालमसिंह की ओर से क्षेत्र के वाशिंदों की सुविधा को लेकर यह तालाब खुदवाया गया था। उन्हीं के नाम पर इस तालाब को सालमसागर नाम दिया गया। कई वर्षों तक पोकरण के लिए यह तालाब पेयजल का मुख्य स्त्रोत रहा। इसके बाद समय-समय पर खुदाई कार्य करवाकर इसकी गहराई भी बढ़ाई गई। मानसून की अच्छी बारिश के दौरान यह तालाब लबालब हो जाता था। जिससे मवेशियों को पेयजल उपलब्ध होता था। पांच वर्ष पूर्व इस तालाब की अभियान चलाकर खुदाई करवाई गई, ताकि तालाब की गहराई बढ़ सके और पानी का ठहराव भी अधिक दिनों तक हो सके। इधर तालाब की खुदाई करवाई गई, तो दूसरी तरफ आवक क्षेत्र में अलग-अलग विभागों की ओर से कुछ निर्माण कार्य। इन निर्माण कार्यों ने बारिश के पानी की आवक को तालाब में जाने से रोक दिया है। जिससे गत पांच वर्षों में एक बार भी सालमसागर लबालब नहीं हो पाया है।
सड़कोंं ने रोका पानी
पोकरण कस्बे व यहां से दक्षिण-पूर्व दिशा में बारिश के दौरान बरसाती नदी नालों से पानी बहकर बीलिया गांव से होते हुए बीलिया नदी में पानी एकत्र होता था। यह पानी बहता हुआ सालमसागर तालाब पहुंचता था। बीलिया गांव से खींवज रोड के बीच भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से बाईपास मार्ग का निर्माण करवाया गया। इस सड़क की ऊंचाई अधिक है तथा पानी निकासी के लिए पाइप नहीं लगाए गए। जिसके कारण पानी एक तरफ ही रुक जाता है तथा बीलिया नदी का स्वरूप भी बिगड़ गया है। इसी प्रकार बीलिया नदी के आशापुरा-खींवज रोड पर निर्मित रपट पर भी सड़क निर्माण करवा दी गई। इसके नीचे पाइप डाले गए, लेकिन छोटे होने के कारण पर्याप्त पानी की निकासी नहीं हो पा रही है।
रास्ते भी हुए अवरुद्ध
बीलिया नदी के रास्ते सालमसागर तालाब में पानी की आवक होने से यह तालाब लबालब हो जाता था तथा कई महिनों तक पानी का ठहराव होता था। खुदाई के दौरान तालाब की गहराई 25 फीट तक कर दी गई, लेकिन बीलिया नदी के रास्ते में कुछ जगहों पर अतिक्रमण, तो कई जगहों पर झाडिय़ां, पत्थर व निर्माण कार्य हो जाने के कारण पानी की पूरी आपूर्ति तालाब तक नहीं हो पा रही है।
एनीकट कर रहा पानी को जमा
तालाब में नदी नालों के सहारे आने वाले पानी के साथ रेत को रोकने के लिए छोटे एनीकट का निर्माण करवाया जाता है। इसी के अंतर्गत बीलिया नदी पर सालमसागर तालाब के आवक क्षेत्र में वर्षों पूर्व एक एनीकट का निर्माण करवाया गया। समय के साथ इन एनीकट से रेत भरकर ले जाने तथा इसकी गहराई बढ़ जाने के कारण अब बारिश के दौरान पानी इस नदी में ही एकत्र रह जाता है। करीब छह से सात फीट तक गहराई की इस नदी में एक किमी क्षेत्र में पानी भरा हुआ रहता है तथा एनीकट की ऊंचाई अधिक होने के कारण यहां जमा होने वाला पानी तालाब में नहीं पहुंच पाता है। ऐसे में गत पांच वर्षों से तालाब लबालब नहीं हो पाया है।