रुठी लक्ष्मी हुई मेहरबान
दो सौ वर्षों तक अकाल और सूखा की त्रासदी से जैसलमेर आर्थिक रूप से विपन्न बन गया था लेकिन बीते करीब पांच दशकों से इस जिले से प्रतिवर्ष सैकड़ों करोड़ का राजस्व सरकार को मिल रहा है और यहां के लोग सालाना करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहे हैं। इस अवधि में जैसलमेर से रूठ चुकी धन की देवी लक्ष्मी पूरी तरह से मेहरबान हो गई। जैसलमेर की किस्मत के लिए पर्यटन, पत्थर, पवन ऊर्जा उत्पादित करने वाले पंखे और सौर ऊर्जा की प्लेट्स ‘गेम चेंजर’ साबित हुए हैं। इन क्षेत्रों से हजारों जिलावासियों के साथ बाहरी लोगों तक को रोजगार नसीब हो रहा है। जिले के जन जीवन में समृद्धि की नई बयार बह रही है। लोगों के जीवन स्तर में जबर्दस्त ढंग से बदलाव आया है। आधुनिक सुख-सुविधाएं शहर व गांवों तक में जन-जन तक उपलब्ध हो चुकी हैं। धनलक्ष्मी की कृपा से जैसलमेर सदियों पुराने वैभव के द्वार पर खड़ा है।