पोकरण में आध्यात्मिक गाथा
महोत्सव के पहले दिन पोकरण में शाम के समय 6 से 9.30 बजे के दौरान लोहारकी गांव के धोरों का चयन जिस प्रमुख कार्यक्रम के लिए किया गया है, उसका नामकरण स्प्रीचुअल सागा यानी आध्यात्मिक गाथा किया गया है। इसके तहत वहां साधो बैंड, स्वाति मिश्रा के गीत, तेरहताली नृत्य और लोक कलाकारों की तरफ से बाबा रामदेव के भजन पेश किए जाएंगे। पूर्व के वर्षों में पोकरण में रात्रिकालीन कार्यक्रम धूम धड़ाके वाले गाने और नाच पर आधारित होते रहे हैं।
– ऐसे ही जैसलमेर में मरु महोत्सव की शोभायात्रा वर्षों बाद गड़ीसर से शुरू की जा रही है। हालिया वर्षों में अधिकारियों ने इसका सफर कम कर दुर्ग की अखे प्रोल से शहीद पूनमसिंह स्टेडियम तक सीमित कर दिया था।
– उसी दिन शाम को पूनम स्टेडियम में ही पदमश्री से सम्मानित कलाकार अनवर खां बईया और पेपे खां का अभिनंदन समारोह रखा गया है।
– स्टेडियम में पहली शाम संस ऑफ दी सोइल यानी माटी के पुत्र नाम से पूरी तरह से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नाम रहेगी। जिसमें पेपे खां, अनवर खां बईया, स्वाति मिश्रा की प्रस्तुतियां होंगी। स्थानीय बॉलीवुड सेलिब्रिटी बैंड भी प्रस्तुति देगी।
– तीसरे दिन शाम के समय सिटी वाइब्स के नाम से आयोजित कार्यक्रम में घुटना चकरी नृत्य, घेवर खां का कमायचा वादन, गाजी खां बरना के निर्देशन में डेजर्ट सिम्फनी बैंड फ्यूजन शो पेश करेंगे।
– महोत्सव के आखिरी दिन के विविध कार्यक्रम खाभा दुर्ग, कुलधरा गांव, लाणेला के रण, खुहड़ी सेंड ड्यून्स और सम सेंड ड्यून्स क्षेत्र में होंगे। उसी दिन सम में केमल रेस, आइकोन्स ऑफ जैसलमेर का सम्मान होगा।
– अंतिम रात के कार्यक्रम सम क्षेत्र में डीएनपी क्षेत्र से बाहर सॉन्ग्स ऑफ दी सैंड नाम से कार्यक्रम रखा गया है। इसके तहत तगाराम भील, विश्व कीर्तिमानधारी गुलाबो देवी की ओर से कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति होगी।
सेलिब्रिटी से जुटाते रहे हैं भीड़
मरुक्षेत्र की संस्कृति और सभ्यता को बढ़ावा देने और उनसे पूरी दुनिया का परिचय करवाने के लिए आयोजित किए जाने वाले मरु महोत्सवों की कड़ी में विगत कुछ वर्षों में सेलिब्रिटी नाइट के नाम पर बॉलीवुड और पंजाबी पॉप के स्टार्स को बुला कर प्रशासन व पर्यटन विभाग भीड़ जुटाता रहा है। ये सेलिब्रिटी कलाकार आकर्षण के केंद्र भी रहते हैं और भीड़ भी खूब जुटती है लेकिन इससे कहीं न कहीं महोत्सव की आत्मा को ठेस पहुंचती रही है। इस बार लोक संस्कृति और सभ्यता से जुड़े विभिन्न उपादानों को शामिल कर मरु महोत्सव की पुरानी परम्परा को जीवंत करने का प्रयास नजर आ रहा है।