निर्णय से पड़ेगी दोहरी मार
संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक जेराराम ने बताया कि राज्य सरकार के निर्णय की दोहरी मार विभागीय कर्मचारियों के वेतन भत्तों तथा सेवानिवृत्ति के परिलाभों के साथ ही वर्तमान में नाममात्र के जल शुल्क की बजाए भारी भरकम जल शुल्क की राशि जनता से वसूलने के रूप में पड़ेगी। ऐसे में जनहित में सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करने चाहिए। तकनीकी कर्मचारी संघ प्रतिनिधि मुकेश बिस्सा, सलीम खान व आजाद व्यास ने बताया कि सरकार द्वारा पिछले 20 वर्षों में भर्ती नहीं करने से विभाग में आवश्यक वास्तविक कैडर मजबूत होने की की बजाय चौथाई से भी कम हो गया है। ऐसे में सेवारत कर्मचारियों पर अतिरिक्त कार्यभार आ गया है। अब निगम बनाकर उन सेवारत कर्मचारियों के शोषण का कुचक्र चलाए जाने को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। जिला महामंत्री प्रेमसिंह ने इस निर्णय को जन विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पहले बनाए गए सभी निगम ऋण के बोझ से दबे हैं इसलिए जनता की मूलभूत आवश्यकता के इस विभाग को निजीकरण की राह पर ले जाना अनुचित है।
जलदायकर्मी रहे सामूहिक अवकाश पर
सयुंक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर जिले के 600 से अधिक कर्मचारी तथा अधिकारी शुक्रवार को सामूहिक अवकाश पर रहे जिससे पेयजल व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ा। जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने अवकाश पर रहने के बाद भी आमजन व जनप्रतिनिधियों से मोबाइल पर बात करते हुए व्यवस्था के लिए प्रयास किए लेकिन सरकार तथा प्रदेश संयुक्त संघर्ष समिति के बीच गतिरोध की स्थिति में आने वाले दिनों में जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कर्मचारी नेता देवीलाल भील ने बताया कि सोमवार तक यदि सरकार द्वारा निर्णय नहीं लिया जाता तो प्रदेश से प्राप्त निर्देशों की पालना में आगे की कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने आमजन से इस निर्णय के विरोध में आगे आने की बात कही क्योंकि इस फैसले से जनता पर प्रतिमाह वर्तमान से 20 गुना से अधिक वित्तीय भार पड़ेगा। साथ ही निगम बनने से जनता के प्रति उत्तरदायित्व भी कम होगा । रैली के बाद हुई सभा को जिला संरक्षक केसी मीना, प्रेमाराम राठौड़ तथा अन्य कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया।