नई ऊर्जा नीति से निवेश के नए अवसर
सरहदी जिलों जैसलमेर और बाड़मेर में हवा और धूप पर अरबों के निवेश के बाद सोलर और पवन ऊर्जा का संयोजन इन जिलों को ऊर्जा आत्मनिर्भर बना रहा है। राजस्थान की नई ऊर्जा नीति ने इस दिशा में उम्मीदें और बढ़ा दी हैं। परियोजनाओं के लिए सरकार जमीन और अन्य सुविधाएं प्रदान कर रही है।रेगिस्तान का भूगोल आदर्श
रेगिस्तानी इलाकों की तेज हवाएं और 12 माह में 9 माह तक गर्मी, हाइब्रिड एनर्जी के लिए जैसलमेर और बाड़मेर को आदर्श बनाते हैं। बाड़मेर-जैसलमेर दोनों जिलों में एक वर्ष में करीब 8 से 9 महीने तक गर्मी का असर रहता है। सोलर प्लांट्स (फोटो वोल्टिक) पर सौर ऊर्जा को ऊष्मा या विद्युत में बदल कर अन्य प्रयोगों में लाया जाता है। अधिकतम 25 से 35 डिग्री तक तापमान सौर ऊर्जा संयंत्र के लिए आदर्श माना जाता है।उम्मीद: आगामी 10-15 वर्षों का अनुमानित असर
-यदि परियोजनाओं को सुगम नीति और संसाधनों की दिशा में सही मार्गदर्शन मिला, तो आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र ऊर्जा उत्पादन और आर्थिक समृद्धि में मिसाल बन सकेगा। -राजस्थान न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी बिजली निर्यात कर सकेगा। साथ ही, यह पहल पर्यावरण संरक्षण और हरित ऊर्जा उत्पादन में भी अहम भूमिका निभाएगी।
-बालोतरा के पॉपलीन उद्योग की 730 से अधिक इकाइयों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जाए तो बेहतर परिणाम मिल सकेेंगे।
-बालोतरा के पॉपलीन उद्योग की 730 से अधिक इकाइयों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जाए तो बेहतर परिणाम मिल सकेेंगे।
-नर्मदा-इंदिरा नहर का पानी आने के बाद बाड़मेर में सौर आधारित कृषि की अपार संभावनाएं हैं।
रिफाइनरी के साथ ही सौर ऊर्जा का प्रोजेक्ट शुरू होने से तेल क्षेत्र में काफी फायदा मिल सकेगा।
-राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन की ओर से नोख क्षेत्र में राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा पावर प्लांट स्थापित हो रहा है।
रिफाइनरी के साथ ही सौर ऊर्जा का प्रोजेक्ट शुरू होने से तेल क्षेत्र में काफी फायदा मिल सकेगा।
ऊर्जा मानचित्र पर पहचान
-पोकरण क्षेत्र के धूड़सर में रिलायंस कम्पनी ने जो सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया था, उससे बिजली उत्पादन शुरू हो चुका है।-राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन की ओर से नोख क्षेत्र में राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा पावर प्लांट स्थापित हो रहा है।
-यहां 925 मेगावाट विद्युत उत्पादन होना है, मौजूदा समय में 190 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। -जैसलमेर जिले के नेड़ान-मूलाना क्षेत्र में 1500 मेगावाट का सोलर पार्क बना रहा है।
-जैसलमेर जिले के आसकन्द्रा, लाठी, धूड़सर और बडलीचारणा में सौर उर्जा संयन्त्रों का कार्य प्रगति पर है। -फतेहगढ़ व लाठी में 1-1 मेगावाट की सोलर परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं।
-जैसलमेर जिले के आसकन्द्रा, लाठी, धूड़सर और बडलीचारणा में सौर उर्जा संयन्त्रों का कार्य प्रगति पर है। -फतेहगढ़ व लाठी में 1-1 मेगावाट की सोलर परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं।
-बाड़मेर जिले में 1000 से अधिक कृषि कुओं पर सौन ऊर्जा संयंत्र हैं।राष्ट्रीय मरू उद्यान क्षेत्र में 6500 घरों को सौर ऊर्जा से ही रोशन किया जाना है।
-सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सीसुब की 4 चौकियों भी सौर ऊर्जा से रोशन हो रही है।
-सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सीसुब की 4 चौकियों भी सौर ऊर्जा से रोशन हो रही है।
-बालोतरा के पॉपलीन उद्योग के डेढ़ दर्जन कारखानों में 2 हजार मीटर तक के क्षेत्र में 10 केवीआर तक सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के जरिए कारखाने संचालित होने लगे है।
-बाड़मेर के शिव व जैसलमेर जिले के फतेहगढ़ क्षेत्र सहित समीपवर्ती क्षेत्रों में 233 पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने की कवायद चल रही है।
-बाड़मेर के शिव व जैसलमेर जिले के फतेहगढ़ क्षेत्र सहित समीपवर्ती क्षेत्रों में 233 पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने की कवायद चल रही है।
हकीकत यह भी: चुनौतियां भी कम नहीं
- रिण इलाके की खारेपन से भरी जमीन ऊर्जा उद्योग के हितों के विपरीत मानी जाती है।
- सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए पर्याप्त और सस्ते पानी की उपलब्धता बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- जिले में कुशल श्रमिकों की बड़ी कमी है।
राजस्थान में जैसलमेर में सर्वाधिक संयंत्र
-राजस्थान में सर्वाधिक पवन ऊर्जा संयंत्र जैसलमेर में लगे हुए है।-प्रदेश में वर्तमान में 4913 मेगावाट विद्युत उत्पादन पवन ऊर्जा से हो रहा है, जिसमें 4000 मेगावाट से अधिक तो बाड़मेर व जैसलमेर में ही उत्पादन हो रहा है।
प्रदेश को बनाएंगे आत्मनिर्भर
भौगोलिक दृष्टि से राजस्थान का जैसलमेर जिला बड़ा जिला है, यहां ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। पवन व सौर ऊर्जा राजस्थान प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएंगे। अभी जो एमओयू हुआ है, वहां भी किसी जिले के एमओयू में सबसे बड़ा माना जा रहा है। -जोराराम कुमावत, प्रभारी मंत्री, जैसलमेर