जैसलमेर

सात समंदर पार से पहुंची कुरजां के कलरव से गूंज रही रुणीचा नगरी

सात समंदर पार से आई सैकड़ों कुरजां पक्षी के कलरव से इन दिनों धार्मिक नगरी रामदेवरा गूंज रही हैं। कुरजां के आगमन से क्षेत्र के पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर है।

जैसलमेरDec 24, 2024 / 08:31 pm

Deepak Vyas

सात समंदर पार से आई सैकड़ों कुरजां पक्षी के कलरव से इन दिनों धार्मिक नगरी रामदेवरा गूंज रही हैं। कुरजां के आगमन से क्षेत्र के पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर है। सुबह क्षेत्र के जैन मंदिर के सामने मैदान में सैकड़ों कुरजां का कलरव इन दिनों लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैं। जहां स्थानीय पक्षी प्रेमी इन कुरजां के लिए दाना लेकर पहुंचते है, वहीं यात्री इन कुरजां के फोटो खींचने से खुद को नहीं रोक पाते। शीतकाल के दौरान सैकड़ों किमी का सफर तय कर पश्चिमी राजस्थान में डेरा डालने वाली कुरजाओं की इन दिनों मैदानी क्षेत्र पर रौनक नजर आ रही है। रामदेवरा क्षेत्र में इनकी संख्या में भी इजाफा होने लगा है। वर्तमान में रामदेवरा और आस पास के क्षेत्र में करीब दो हजार से अधिक प्रवासी कुरजां ने डेरा डाल रखा है। गौरतलब है कि चीन, कजाकिस्तान, मंगोलिया आदि देशोंं में सितंबर माह में बर्फबारी शुरू हो जाती है तथा कुरजां के लिए यह मौसम अनुकूल नहीं रहता है। ऐसे में सैंकड़ों किमी का सफर तय कर ये कुरजां पश्चिमी राजस्थान का रुख करती है। सितंबर व अक्टूबर माह से फरवरी से मार्च माह तक यहां शीतलहर चलती है। ऐसे में कुरजां के लिए यहां मौसम अनुकूल हो जाता है।

पांच-छह माह तक डेरा

कुरजां पश्चिमी राजस्थान में अलग-अलग जगहोंं पर अपना डेरा डालती है तथा प्रवास करती है। इन दिनों रामदेवरा क्षेत्र में कई जगहों पर बड़ी संख्या में कुरजां ने डेरा डाल रखा है, जिससे सुबह तालाब, सरोवर व मैदानों में कुरजां की कलरव से गूंजते सुनाई दे रहे है।
पक्षीप्रेमी भवानीसिंह बताते हैं कि शीतकाल के दौरान कुरजां को धार्मिक क्षेत्र रामदेवरा रास आने लगा है। वर्तमान में रामदेवरा तथा क्षेत्र के विरमदेवरा, एकां, मावा सहित अन्य जगहों पर करीब दो हजार से अधिक कुरजां नजर आ रही है। प्रवासी कुरजां की आवक से वन्यजीवप्रेमियोंं व पक्षीप्रेमियों में भी उत्साह दिख रहा है। कुरजां के अलावा अन्य कई प्रजातियों के पक्षी भी इस क्षेत्र में नजर आ रहे है।

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