सैन्य इतिहास का अमिट अध्याय
रात के समय में लोंगेवाला में बर्फ जैसी ठंडी हवाओं में भारतीय थल सेना के 120 जवानों ने अपने पराक्रम का दहकता हुआ नमूना पेश किया। सूर्य की पहली किरण के साथ भारतीय वायुसेना ने जिस अंदाज में दुश्मन के टैंकों को मटियामेट किया, वह तो भारतीय सैन्य इतिहास का अमिट अध्याय बन चुका है। सरहदी जैसलमेर जिले में इस ऐतिहासिक जीत के कई सजीव प्रमाण मौजूद हैं। लोंगेवाला जहां युद्ध लड़ा गया, वहां बाकायदा एक वार म्यूजियम बन चुका है। जहां पाकिस्तान से जीते टैंकों सहित उसके वाहनों व अन्य दस्तावेजों-चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। ऐसे ही जोधपुर मार्ग पर जैसलमेर मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर सैन्य क्षेत्र में स्थापित वार म्यूजियम में भी इस युद्ध की यादों को संजोया गया है। हर वर्ष जैसलमेर में 16 दिसम्बर को विजय दिवस का धूमधाम से आयोजन किया जाता है। जिसमें जीत के नायक मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को शिद्दत से याद किया जाता है। कुछ दशक पहले इस युद्ध पर केंद्रित बॉर्डर फिल्म के बाद कुलदीप सिंह सहित अन्य युद्ध नायक जन-जन की स्मृतियों में स्थान बना चुके हैं। हालांकि कुछ साल पहले कुलदीप सिंह का निधन हो गया लेकिन उनकी शौर्य गाथा आज भी फिजाओं में गूंज रही है। इसलिए खास है लोंगेवाला युद्ध
- 4 से 5 दिसंबर, 1971 की रात को पाकिस्तानी सेना ने लोंगेवाला सीमा चौकी पर हमला किया था।
- इस हमले में पाकिस्तान की ओर से 4,000 सैनिक, टी-59 और शेरमैन टैंक, और एक मध्यम तोपखाना बैटरी शामिल थी।
- इस युद्ध में भारत के 2 जवान शहीद हुए थे, जबकि पाकिस्तान को अपने 200 सैनिकों की जान गंवानी पड़ी थी।
- लोंगेवाला युद्ध में भारत की जीत में भारतीय वायुसेना ने भी अहम भूमिका निभाई थी। विंग कमांडर एमएस या ‘एंडी’ बावा के नेतृत्व में भारतीय वायुसेना ने 18 उड़ानों में 36 दुश्मन टैंकों, 100 वाहनों को नष्ट किया और अनेक पाकिस्तानी सैनिक मारे गए।
संग्रहालय में हंटर मारुत विमान
1971 के युद्ध में पाकिस्तानी टैंकों की कब्रगाह बनाने वाला भारतीय वायुसेना का हंटर मारुत लड़ाकू विमान मौजूदा समय में जैसलमेर के राजकीय संग्रहालय में रखा है और एक तरह से अनदेखेपन का दंश भोग रहा है। कई वर्षों पहले वायुसेना ने जिला प्रशासन को इस ऐतिहासिक धरोहर को संजो कर रखने के लिए सौंपा था। शुरुआत में इसे हनुमान चौराहा पर पत्थर की चारदीवारी के बीच रखा गया, कुछ साल बाद चौराहा का विस्तारीकरण करने के लिए इसे यहां से हटाकर राजकीय संग्रहालय में लाकर रखवाया गया। तब से यह विमान वहीं है।