उत्तर पश्चिमी रेलवे क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जैसलमेर स्टेशन की मुख्य इमारत में बनने वाली जी 2 बिल्डिंग में 2 मंजिलों का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है तथा शेष एक मंजिल का कार्य 31 दिसंबर तक पूर्ण कर लिया जाएगा। इसी के साथ स्टाफ क्वार्टर, एमसीओ, पार्सल, क्रू लॉबी एवं अन्य विभाग की बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है।
स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 3 की नई दीवार का निर्माण तथा प्लेटफार्म नंबर 2 व 3 पर शेल्टर, एफओबी व एयर कॉनकोर्स के फाउंडेशन का कार्य पूर्ण हो गया है। वर्तमान में प्लेटफार्म नंबर 1 पर फाउंडेशन का कार्य प्रगति पर है। स्टेशन पुनर्विकास के इस कार्य के लिए निर्धारित लक्ष्य अगले वर्ष 25 अक्टूबर तक यह पूरा कर लिया जाएगा।
48 हजार वर्गमीटर क्षेत्र में हो रहे कार्य
जानकारी के अनुसार जैसलमेर स्टेशन पर लगभग 48000 वर्ग मीटर क्षेत्र में विकास किया जायेगा। स्टेशन पर 8327 वर्ग मीटर क्षेत्र में मुख्य स्टेशन बिल्डिंग का निर्माण किया जायेगा। स्टेशन के पुनर्विकास में राजस्थानी हैरिटेज और आधुनिकता के समावेश से इसे आकर्षक रूप प्रदान किया जाएगा। मुख्य स्टेशन बिल्डिंग में आगमन और प्रस्थान के लिए अलग-अलग प्रवेश व निकास द्वार, 1000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल में एयर कोनकॉर्स, कवर्ड प्लेटफार्म, लिफ्ट व एस्केलेटर की सुविधा, फुट ओवर ब्रिज, अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित वेटिंग रूम, शॉपिग कॉम्पलेक्स, एग्जीक्यूटिव लाउंज, उन्नत व मानक स्तर की लाइटिंग, फूड कोर्ट आदि का समावेश किया गया है। इसी तरह से स्टेशन पर पर्याप्त व व्यवस्थित पार्किंग सुविधा, दिव्यांगजन के अनुकूल सुविधाएं, संकेतक, शौचालय, बैगेज स्कैनर, मैटल डिटेक्टर तथा कोच गाइडेन्स बोर्ड व ट्रेन इन्डिकेटर आदि के साथ समस्त प्रकार की आधुनिक यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इस तरह से स्वर्णनगरी के नाम से मशहूर जैसलमेर में स्टेशन का संपूर्ण पुनर्विकास इसकी भव्यता और आकर्षक बिल्डिंग को देखने से नजर आएगा।
– स्टेशन पुनर्विकास में ऊर्जा खपत में कमी के लिए ग्रीन बिल्डिंग आधारित सुविधाएं होंगी, जो नवीनीकरणीय ऊर्जा के साथ कचरे का उचित निस्तारण, वर्षा जल संचयन आदि जैसे संसाधनों से युक्त होगी। स्टेशन पर हरित और पर्यावरण अनुकूल सौर ऊर्जा प्लांट भी स्थापित किया जाएगा।
– स्टेशन पुनर्विकास कार्य पूरा होने पर आने वाले सैलानियों को अनेक यात्री सुविधाओं के साथ विशिष्ट अनुभूति होगी। इसी तरह सामरिक महत्व का स्टेशन होने से सैन्य बलों के जवानों को अपने कार्यस्थल पर आवागमन के लिए विश्वस्तरीय सुविधा भी उपलब्ध होगी।