जैसलमेर

अव्यवस्थाओं का राज: सोनार दुर्ग में हर दिन बन रहा नियमों का तमाशा

स्वर्णनगरी का ऐतिहासिक सोनार दुर्ग, जहां सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक तिपहिया व अन्य वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध है, नियमों की अनदेखी का शिकार हो रहा है।

जैसलमेरDec 10, 2024 / 08:13 pm

Deepak Vyas

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स्वर्णनगरी का ऐतिहासिक सोनार दुर्ग, जहां सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक तिपहिया व अन्य वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध है, नियमों की अनदेखी का शिकार हो रहा है। इस दौरान थ्री-व्हीलर, लोडिंग वाहन, और ट्रैक्टर बेधडक़ संचालित हो रहे हैं। ऐसे में सैकड़ों पर्यटकों और स्थानीय निवासियों की आवाजाही के बीच हादसों का खतरा लगातार बना रहता है। बावजूद इसके, जिम्मेदारों की उदासीनता समस्या को और गंभीर बना रही है। सोनार दुर्ग की सर्पिलाकार और घुमावदार गलियों में बड़े वाहनों की मौजूदगी से पैदल चलने वाले पर्यटकों और निवासियों को खासी दिक्कतें होती हैं। कई बार अनियंत्रित वाहनों की वजह से छोटी-मोटी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। लक्ष्मीनाथ मंदिर और बाबा रामदेव मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों के साथ-साथ दुर्ग के अंदर रहने वाले सैकड़ों लोगों की आवाजाही इस दौरान चरम पर होती है, जिससे हालात और बिगड़ जाते हैं।

पर्यटकों की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल

विश्व पर्यटन मानचित्र पर विशेष पहचान बना चुका ऐतिहासिक सोनार दुर्ग देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता है। ऐसे में जिम्मेदारों की लापरवाही से उनकी सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है। उक्त प्रतिबंधित समय पर्यटकों के लिए दुर्ग भ्रमण का मुख्य समय है। स्थानीय नागरिकों व दुर्गवासियों ने उक्त समस्या के समाधान को लेकर कई बार गुहार की, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

फैक्ट फाइल

-869 वर्ष पुराना है जैसलमेर का ऐतिहासिक सोनार किला
-2 वार्डों में बंटा हुआ है नगरपरिषद के क्षेत्र के रूप में जैसलमेर दुर्ग
-3 हजार की आबादी निवास करती है किले के भीतर मोहल्लों में
-10 लाख पर्यटक हर वर्ष घूमने आते हैं जैसलमेर के सोनार किले में
-हर दिन 500 से अधिक पर्यटक भ्रमण को पहुंच रहे सोनार किले में

मेहमान भी हो रहे परेशान

सोनार किले में पैदल घूमने आने वाले पर्यटक भी इस समस्या से खासे परेशान है। सोनार दुर्ग की अव्यवस्था से उनका अनुभव खराब हो रहा है। उन्होंने भी पर्यटकों की सुरक्षा और अनुभव को बेहतर बनाने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया। यूके से आई एलिजाबेथ बताती है कि जैसलमेर की ऐतिहासिक खूबसूरती अद्भुत है, लेकिन दुर्ग की घाटियों में दौड़ रहे वाहनों से अनुभव खराब हो रहा है। इसी तरह आस्ट्रेलिया से आए जॉन बताते हैं कि सोनार दुर्ग का अनुभव ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है, लेकिन लोडिंग वाहनों की आवाजाही ने इस यात्रा का आनंद कम कर दिया। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। जयपुर से आए अजयसिंह बताते हैं कि इतिहास और संस्कृति का यह अनमोल हिस्सा जिम्मेदारों की अनदेखी का शिकार हो रहा है। ऐसे स्थानों पर यातायात नियंत्रण सबसे जरूरी है। भोपाल से आए रोहित गुप्ता का कहना है कि हम इस दुर्ग के बारे में बहुत उत्साहित थे, लेकिन यहां का असंगठित माहौल और वाहनों का शोर हमें परेशान कर गया। पर्यटन के लिए यह ठीक नहीं हैं।

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