रामसरोवर पर श्रद्धालुओं की रौनक
एक सितंबर से बाबा रामदेव का मेला ( Ramdevra Mela 2019 ) जारी है। मेले में बाबा की समाधि के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। हालांकि गत 2 दिनों से श्रद्धालुओं की आवक कम हो जाने से श्रद्धालुओं को आसानी से दर्शन हो रहे हैं। द्वितीया को भारी भीड़ के बाद चतुर्थी को श्रद्धालुओं की कतारें मंदिर तक पहुंच गई। पंचमी को भी सुबह श्रद्धालुओं की एकबारगी भीड़ उमड़ी। इसके बाद श्रद्धालुओं की आवक कम होने से कतारें मंदिर तक आ गई। यहां आए श्रद्धालुओं ने बाबा की समाधि के दर्शन कर पूजा अर्चना की। षष्ठी को बीकानेर व पंजाब से पदयात्रियों के जत्थे पहुंचने के बाद फिर गांव में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई देगी। फिलहाल कतारों के अलावा गांव में श्रद्धालुओं की रेलमपेल नजर आ रही है। विशेष रूप से गांव के रामसरोवर पर श्रद्धालुओं का डेरा लगा हुआ है। रात में भी रामसरोवर पर श्रद्धालुओं की रौनक नजर आ रही है।
पोकरण से 12 किमी दूर है रामदेवरा
रामदेवरा मेले की शुरुआत 1 सितम्बर को मंगला आरती एवं स्वर्ण मुकुट प्रतिष्ठा के साथ हुई थी। द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार बाबा रामदेव की कर्मस्थली रामदेवरा में सरहदी जैसलमेर जिले के पोकरण उपखण्ड मुख्यालय से करीब 12 किमी दूर ( How To Reach ramdevra ) है। इसका एक अन्य नाम रुणीचा भी है। यहां अछूतोद्धारक, साम्प्रदायिक एकता के प्रतीक मध्यकालीन लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि पर मंदिर बना हुआ है। बाबा रामदेव का मेला पश्चिमी राजस्थान में कुंभ मेला माना जाता है। देश के अलग-अलग गांवों व शहरों से एक माह तक चलने वाले मेले में लाखों लोग अपनी श्रद्धा व आस्था लेकर बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनों के लिए यहां आते है।
सभी धर्मों के लोगोें की आस्था
दर्शन कर अपने घर परिवार सहित देश में अमन, चैन व खुशहाली की प्रार्थना करते है। सभी धर्मों के लोग समान रूप से बाबा रामदेव की पूजा-अर्चना करते है। बाबा रामेदव के इस पवित्र धाम पर प्रतिवर्ष लगने वाले अंतरप्रांतीय मेले में राजस्थान सहित गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं दिल्ली आदि प्रांतों से लाखों यात्री पैदल, मोटरसाइकिल, साइकिल, बस रेल एवं अन्य साधनों से यहां आकर बाबा की समाधि के दर्शन करते है तथा अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रद्धा सहित आराधना करते है।
बाबा की समाधि लेने के 1 वर्ष बाद लगने लगा था मेला
समाधिस्थल पर छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया गया। जिसका समय-समय पर विस्तार होता रहा। वर्तमान में यहां एक विशाल मंदिर ( Ramdev Peer History In Hindi ) बना हुआ है। बाबा की समाधि लेने के एक वर्ष बाद यहां मेला लगने लगा। पूर्व में यहां बहुत कम श्रद्धालु आते थे तथा छोटा मेला लगता था। धीरे-धीरे बाबा के चमत्कारों का प्रचार प्रसार हुआ तथा लोगों की आस्था बढ़ने लगी। जिससे दर्शनार्थियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ। प्रतिवर्ष मेले के दौरान 10 से 15 करोड़ रुपए का चढ़ावा होता है, जो बाबा के वंशजों में समान रूप से वितरित किया जाता है।