पहले पेड़ों की छांव, अब झोंपे में शिक्षण
विद्यालय का संचालन दो वर्ष पूर्व शुरू कर दिया गया। पहले तो यहां कार्यरत दो शिक्षक पेड़ों की छांव में अध्ययन करवाने लगे। इसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से एक कच्चा झोंपा बनाया गया। अब सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को एक साथ इस झोंपे में बिठाकर अध्ययन करवाया जा रहा है। झोंपे में न तो बैठने की उचित व्यवस्था है, न पानी की, न बिजली की। ऐसे में भीषण गर्मी व लू के थपेड़ों के दौरान विद्यार्थियों को बेहाल हो जाता है।
बारिश में करनी पड़ती है छुट्टी
मौसम में बदलाव के कारण कभी बारिश होती है तो स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है। तेज आंधी के दौरान झोंपे के गिरने या बिखरने से हादसे की भी आशंका बनी रहती है। कई बार तेज हवा चलने पर झोंपे पर लगा विद्यालय का बोर्ड भी गिर जाता है, जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है।
नहीं है पानी-बिजली की सुविधा
विद्यालय में पानी, बिजली की कोई सुविधा नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को घर से बोतलों में पानी लाना पड़ता है। बिजली की कोई व्यवस्था नहीं होने से भीषण गर्मी में बेहाल हो जाता है। यही नहीं पानी के अभाव में मिड-डे-मील के पोषाहार को लेकर भी परेशानी हो रही है।
करवाया है अवगत
विद्यालय दो वर्ष से संचालित हो रहा है। ग्रामीणों के सहयोग से झोंपे में संचालन किया जा रहा है। भवन निर्माण के लिए अधिकारियों को अवगत करवाया गया है।