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जैसलमेर

जलदाय विभाग के 600 से ज्यादा अधिकारी-कार्मिक सामूहिक अवकाश पर

राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यों को राजस्थान जलप्रदाय एवं सीवरेज निगम यानी आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरित किए जाने के निर्णय का पुरजोर ढंग से विरोध शुरू हो गया है।

जैसलमेरJul 25, 2024 / 09:07 pm

Deepak Vyas

jsm
राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यों को राजस्थान जलप्रदाय एवं सीवरेज निगम यानी आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरित किए जाने के निर्णय का पुरजोर ढंग से विरोध शुरू हो गया है। इस संबंध में बनाई गई संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेश भर की भांति शुक्रवार को सीमांत जैसलमेर जिले के 600 से ज्यादा जलदाय अधिकारी व कार्मिक सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। जैसलमेर जिले की संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में कार्मिक शुक्रवार प्रात: 10 बजे नगरखण्ड कार्यालय से हनुमान चौराहा होते हुए जिला कलक्टर को ज्ञापन देने पहुंचेंगे। इससे पहले गुरुवार शाम को जिला मुख्यालय स्थित विभाग के अधीक्षण अभियंता कार्यालय परिसर में अधिकारी व कार्मिक जुटे और सरकार के निर्णय के खिलाफ जोर-शोर से नारेबाजी की। संयुक्त संघर्ष समिति ने अधिकारियों व कार्मिकों के हस्ताक्षरों से युक्त एक ज्ञापन मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री और मुख्य सचिव सहित अन्य को प्रेषित किया गया है। जिसमें इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है। इस बीच दी गई जानकारी के अनुसार विभाग का कोई कार्मिक एफएचटीसी की कोई सूचना नहीं देंगे। आइएमआइएस पर कोई कार्रवाई या सूचना नहीं करेंगे। विभाग के जो भी वाट्सएप ग्रुप बने हैं, उनमें कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। आगामी सोमवार को जलदाय कर्मी विधानसभा का घेराव करेंगे और उसी दिन से पेन-फोन और टूल डाउन भी किया जाएगा।

अंदेशा: विरोध के ये बताए कारण

-वर्ष 1979 में सृजित राजस्थान जलप्रदाय एवं सीवरेज निगम यानी आरडब्ल्यूएसएससी के माध्यम से 8600 करोड़ का ऋण लिया गया तथा उस ऋण के भुगतान के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा शहरी एवं ग्रामीण योजनाओं पर जारी पेयजल संबंधों के बिलों से प्राप्त राशि आरडब्ल्यूएसएससी को स्थानांतरित कर दी गई।
-विभागीय परिसम्पत्तियों को जल जीवन मिशन अंतर्गत परिसम्पत्तियों सहित आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरित किए जाने की कार्यवाही की जा रही है व चरणबद्ध रूप से सभी नई एवं पुरानी जल योजनाएं मय विभागीय स्टाफ आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरित किया जाएगा।
  • राज्य के नागरिकों को उचित दरों पर शुद्ध पेयजल का वितरण आरडब्ल्यूएसएससी से करवाया जाना संभव नहीं होगा, क्योंकि वह प्रारम्भ से ही ऋण के बोझ के तले दबा हुआ होगा और ऋण के भुगतान के लिए उसे मजबूरन ऋण दाता के दबाव में जल राजस्व बढ़ाने के लिए जल शुल्क में बेतहाशा वृद्धि करनी होगी।
  • राज्य में वर्तमान में कई निगम राज्य सरकार के अधीन कार्यरत हैं एवं उनकी हालत किसी से भी छुपी हुई नहीं है। आरडब्ल्यूएसएससी की हालत इन सभी निगमों में सब से ज्यादा दयनीय होगी जिस पर कर्ज का बोझ तो कई हजार करोड़ का होगा और राजस्व वसूली मात्र 500-600 करोड़ वार्षिक होगी। ऐसे में कर्मचारियों का मासिक वेतन व अन्य भत्तों के समय पर भुगतान की उम्मीद काफी कम है।

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