मौसम बदलते ही विदाई
सर्दी के मौसम में सुबह की सूर्य की किरणें के साथ कुरजां की चहक से गुलजार होने वाले क्षेत्र अब सूने होने लगे है। गर्मी की दस्तक के साथ ही कुरजां ने अपना रुख स्वदेश की ओर कर लिया है। एक हजार कुरजां यहां से लौट चुकी है तो शेष कुरजां धीरे-धीरे लौट रही है। प्रवासी पक्षी कुरजां वतन वापसी से पूर्व एक निश्चित ऊंचाई पर उड़ती है और गर्म हवा का आभास होते ही यहां लौट जाती है।
-राधेश्याम विश्नोई, वन्य जीव प्रेमी
बारिश नहीं होना भी वजह
मौसम के बदलाव के साथ पश्चिमी राजस्थान में कई जगह कुरजां का प्रवास रहता है। प्रतिवर्ष बारिश व क्षेत्र के कई तालाबों में पानी भरा होने के कारण छह से सात हजार तक कुरजां यहां आकर डेरा डालती है। इस वर्ष बारिश नहीं होने तथा कुछ तालाबों में ही पानी होने के कारण करीब दो हजार कुरजां ने क्षेत्र में प्रवास कियाएजो अब लौटने लगी है।
-जगदीश विश्नोई, क्षेत्रीय वन अधिकारी, वन विभाग, लाठी
मौसम के बदलाव के साथ पश्चिमी राजस्थान में कई जगह कुरजां का प्रवास रहता है। प्रतिवर्ष बारिश व क्षेत्र के कई तालाबों में पानी भरा होने के कारण छह से सात हजार तक कुरजां यहां आकर डेरा डालती है। इस वर्ष बारिश नहीं होने तथा कुछ तालाबों में ही पानी होने के कारण करीब दो हजार कुरजां ने क्षेत्र में प्रवास कियाएजो अब लौटने लगी है।
-जगदीश विश्नोई, क्षेत्रीय वन अधिकारी, वन विभाग, लाठी