इस मंदिर का इतिहास भी काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि इस स्थान पर चंवद ऋषि ने 500 वर्षों तक तपस्या की थी। इसी वजह से इस स्थान का नाम चूंधी (Chundhi ganesh mandir) पड़ा। मंदिर में स्थित गणेश जी की प्रतिमा भी स्वयंभू मानी जाती है।
इस मंदिर में प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi ) के दिन भव्य मेला लगता है। इस मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं। Chundhi Ganesh Temple चूंधी गणेश मंदिर की विशेषताएं
– यह मंदिर जैसलमेर की स्थापना से भी पुराना है।
– मंदिर में स्थित गणेश जी की प्रतिमा स्वयंभू है।
– मंदिर परिसर में बिखरे पत्थरों से भक्त अपना मनपसंद घर बनाते हैं।
– मान्यता है कि भगवान गणेश भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
– प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दिन यहां भव्य मेला लगता है।
भक्तों की कहानियां
– मंदिर में स्थित गणेश जी की प्रतिमा स्वयंभू है।
– मंदिर परिसर में बिखरे पत्थरों से भक्त अपना मनपसंद घर बनाते हैं।
– मान्यता है कि भगवान गणेश भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
– प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दिन यहां भव्य मेला लगता है।
भक्तों की कहानियां
चूंधी गणेश मंदिर में आने वाले भक्तों की कई कहानियां हैं। कुछ भक्तों का कहना है कि उन्होंने मंदिर में घर बनाने के बाद अपना सपनों का घर पा लिया है। कुछ भक्तों का कहना है कि वे मंदिर में घर बनाने के बाद आर्थिक रूप से समृद्ध हो गए हैं।
चूंधी गणेश मंदिर एक अनोखा और चमत्कारी मंदिर है। इस मंदिर में आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह मंदिर आस्था और विश्वास का प्रतीक है।