जैसलमेर

भू-जल में प्रकट हुई लक्ष्मी, बदली ग्रामीण क्षेत्रों की दशा-दिशा

सरहदी जिले में नलकूप आधारित कृषि के कारण सुखद स्थिति बनी है। दूर-दूर तक रेत के धोरों वाले मरुप्रदेश का तो पर्यावरणीय परिदृश्य ही बदल गया है।

जैसलमेरOct 30, 2024 / 08:11 pm

Deepak Vyas

सरहदी जिले में नलकूप आधारित कृषि के कारण सुखद स्थिति बनी है। दूर-दूर तक रेत के धोरों वाले मरुप्रदेश का तो पर्यावरणीय परिदृश्य ही बदल गया है। ऐसे में यहां के बाशिंदों की आर्थिक दशा ही भी बदलाव देखा जा सकता है। सरहदी जिले में जल के रूप में लक्ष्मी के अवतरण के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की दशा व दिशा दोनों में ही सुखद बदलाव आया है। यह कुछ वर्षों में ही हुआ है। धूल भरी आंधियों व झाड़.झंखड़ों वाले क्षेत्र के रूप में अभिशापित माने जाने वाले रेगिस्तानी जिले जैसलमेर में भू.जल ने तकदीर बदल दी है। यहां लक्ष्मी की कृपा हुई है। यह केवल केवल किसानों पर मेहरबान नही हुई, बल्कि खेती के साथ बढ़ी जरूरतों ने गांवों मे अन्य कुटीर उद्योगों को भी पनपा दिया। मोटर पम्प रिपेयरिंग, स्प्रिंकलर रिपेयरिंग, खाद बीज की दुकानों से गांवो के बाजार पनप गए। यहां तक की गांव भी कस्बों में तब्दील हो गए हैं। यहां के बुजुर्ग सरहदी जिले में वे दिन नहीं भूले हैं, जब भौतिक सुख तो दूर कभी कभी लम्बे समय तक खाने-पीने के लिए भी दुरूख भोगने पड़ते थे। अकाल के स्थायी निवास समझे जाने वाले सरहदी जिले को इसी कारण काले पानी की जगह के नाम से निराशाजनक पहचान बनी। अब रेगिस्तानी जिले की फिजां बदल गई है।

हरियाली में झलक रही खुशहाली

इन दिनों मरु प्रदेश में हरियाली नजर आने लगी। वे दिन बीत गए जब जैसलमेर जिले में बाजरे व ग्वार की फसल को लोग तरसते थे। अब जल-धारा के चमत्कार से यहां के खेतों में जीरा, सरसों व मूंगफली जैसी फसलों का उत्पादन होने लगा है।

तब और अब

-विषम भौगोलिक व पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण जैसलमेर की यह मरुधरा सदियों तक लक्ष्मी के आशीर्वाद से अछूती रही।

-वर्षों से यहां के बाशिंदे पशुपालन आधारित अर्थव्यवस्था पर आश्रित रहे।
-अकाल के पड़ाव के कारण कभी यहां के लोगों का जीवन स्तर नहीं सुधरा।
-खानाबदोश जिदगी व रोज के पलायन ने उन्हें धन से प्राप्त होने वाले सुखों से वे सदैव वंचित रहेे।
-आजादी के बाद पर्यटन के क्षेत्र में जैसलमेर की पहचान के कारण लोगों की जीवन दशा मे बदलाव शुरू हुआ। तब यह बदलाव भी शहरी क्षेत्र तक ही सीमित रहा।
-सम, खुहड़ी जैसे कुछ गांवों को छोडकऱ देखें तो ग्रामीण आबादी की अर्थव्यवस्था में अस्सी के दशक तक कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ।
-बारिश की कमी के कारण लोग अन्न व धन के लिए तरसते रहे।
-जिले की अर्थव्यवस्था में असली बदलाव जिले में पानी की खोज के बाद शुरू हुआ।
-इन्दिरा गाधी नहर के आगमन से जहां नहरी क्ष् ोत्र की दशा बदलीए वही भू.जल की खोज ने जिले के बारानी क्षेत्र मे बदलाव लाना शुरू कर दिया।
-अस्सी के दशक में तत्कालीन प्रशासन ने अकाल के स्थाई सामाधान के लिए भू.जल आधारित कृषि में लिए लोगों को प्रोत्साहित करना शुरू किया।
-कुए खुदवाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया गया। शुरुआत चांधन, राजमथाई व ओला क्षेत्र से हुई।
-इस नवाचार से यहा के किसानों की जीवन दशा ही बदल गई।
-समय के साथ भू.जल आधारित कृषि से समूचे जिले मे बदलाव आना शुरू हो गया।

बदला पर्यावरणीय परिदृश्य

नलकूप आधारित कृषि ने पूरे क्षेत्र का पर्यावरणीय परिदृश्य बदल दिया। मरुप्रदेश के बाशिंदों की आर्थिक दशा में भी बदलाव आया है।
-डॉ. एनडी इणखिया, प्रभारी भू-जल वैज्ञानिक, जैसलमेर

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