जैसलमेर

मौसमी बीमारियों की जकड़ में जैसलमेर, मलेरिया-डेंगू के फैलाव का खतरा बरकरार

मानसून की बारिश औसत से दोगुना होने की खुशी सीमांत और मरुस्थलीय जैसलमेर जिले में चारों तरफ बिखरी देखी जा सकती है लेकिन इसका एक दूसरा पहलू मौसमी बीमारियों के प्रसार का भी है।

जैसलमेरSep 25, 2024 / 08:44 pm

Deepak Vyas

मानसून की बारिश औसत से दोगुना होने की खुशी सीमांत और मरुस्थलीय जैसलमेर जिले में चारों तरफ बिखरी देखी जा सकती है लेकिन इसका एक दूसरा पहलू मौसमी बीमारियों के प्रसार का भी है। जिससे शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोग एक समान रूप से प्रभावित हो रहे हैं। मौसमी बुखार, बदन दर्द, पेट से जुड़ी समस्याओं आदि से ग्रस्त मरीज सरकारी व निजी अस्पतालों की चौखट पर भरपूर ढंग से पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर जिले भर में अच्छी बारिश के कारण जगह-जगह बरसाती जल के भराव वाले क्षेत्रों में मलेरिया और डेंगू बुखार के पांव पसारने का जोखिम एक बार फिर बना हुआ है। मौजूदा समय में हालांकि दोनों तरह के बुखार रिपोर्ट में ज्यादा पॉजिटिव नहीं आ रहे हैं और इस वजह से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमा स्थिति को नियंत्रण में मान रहा है लेकिन यह भी वास्तविकता है कि कई बुखार पीडि़तों में लक्षण मलेरिया और डेंगू के जैसे हैं। ऐसे मरीजों की रक्त जांच रिपोर्ट भले ही नेगेटिव आए लेकिन चिकित्सक ऐहतियात के तौर पर उन्हें उपचार उसी ढंग से मुहैया करवा रहे हैं और खान-पान संबंधी परामर्श भी उसके अनुरूप दे रहे हैं। जिले के सबसे बड़े जवाहिर चिकित्सालय में सुबह से मरीजों की भीड़ उमड़ती है। ज्यादातर मौसमी बीमारियों से ग्रस्त होते हैं। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की तादाद भी क्षमता से ज्यादा होने की नौबत कई बार आती है। यहां प्रतिदिन 1500-1600 मरीज ओपीडी में जांच करवाने पहुंच रहे हैं। पीएमओ डॉ. चंदनसिंह के अनुसार रोजाना भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या औसतन 100 के आसपास है। इसी तरह से डेंगू के पॉजिटिव केस रोज 1-2 आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मलेरिया के केसेज वर्तमान में कम हैं लेकिन उससे पहले के दिनों में ज्यादा आ रहे थे। जानकारी के अनुसार जवाहिर चिकित्सालय में औसतन 250-300 मरीजों की रक्त जांच प्रतिदिन करवाई जा रही है। जैसलमेर के निजी अस्पतालों को मिला कर देखें तो करीब 1000 मरीज वहां ओपीडी में पहुंच रहे हैं। निजी क्षेत्र के चिकित्सालयों व क्लिनिकों में भी मलेरिया व डेंगू के संदिग्ध रोगियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है।
अगले महीने बढ़ सकता है प्रकोप

मलेरिया के फैलाव के दृष्टिकोण से सीमावर्ती जैसलमेर जिला डार्क जोन के रूप में पहचाना जाता है। विशेषकर जब अच्छी मानसूनी बारिश होती है, उसके बाद यहां मलेरिया प्रसार की आशंका ज्यादा रहती है। इस बार भी बारिश का दौर थमने के बाद मलेरिया के मामले ज्यादा सामने आए थे, हालिया दिनों में उनमें गिरावट आई है। वैसे जानकारों की मानें तो सितम्बर के बचे हुए दिनों में एंटी लार्वा गतिविधियों और मच्छरों का सफाया करने के लिए फोगिंग कायदे से नहीं की गई तो अक्टूबर माह में स्थितियां विकट हो सकती हैं। उनके अनुसार मलेरिया प्रसार की दृष्टि से संवेदनशील पहला दौर तो ज्यादा घातक साबित नहीं हुआ और इससे चिकित्सा महकमे ने राहत की सांस ली है लेकिन अक्टूबर में जब हल्की ठंड पडऩे लगेगी तब पानी के जमाव वाले क्षेत्रों से मलेरिया के मामले ज्यादा सामने आ सकते हैं। इनमें मलेरिया पीवी के साथ घातक माने जाने वाले पीएफ के मामले भी शामिल रहेंगे। जवाहिर चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वीके वर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में पड़ रही तेज गर्मी ने मलेरिया व डेंगू के प्रसार में कमी की है।

डेंगू और मलेरिया में अंतर

दोनों ही मच्छरों के काटने से फैलने वाली बीमारियां हैं लेकिन इन दोनों में कई अंतर हैं, जैसे डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होता है, जबकि मलेरिया एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है।

Hindi News / Jaisalmer / मौसमी बीमारियों की जकड़ में जैसलमेर, मलेरिया-डेंगू के फैलाव का खतरा बरकरार

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.