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जैसलमेर

मादक पदार्थ निगल रहे स्वास्थ्य, धन व जीवन

स्वर्णनगरी में बीते कुछ दशकों के दौरान आई समृद्धि के बीच मादक पदार्थों के सेवन की प्रवृत्ति स्थानीय बाशिंदों विशेषकर युवाओं में चिंतनीय ढंग से बढ़ी है।

जैसलमेरJun 25, 2024 / 08:36 pm

Deepak Vyas

jsm news
स्वर्णनगरी में बीते कुछ दशकों के दौरान आई समृद्धि के बीच मादक पदार्थों के सेवन की प्रवृत्ति स्थानीय बाशिंदों विशेषकर युवाओं में चिंतनीय ढंग से बढ़ी है। नशे के काले धंधे ने यहां जडें भी जमाई है। रातोंरात दौलतमंद बनने का लालच यहां के युवाओं को इस व्यवसाय रूपी गर्त में धकेल रहा है। पिछले कुछ महीनों के दौरान जैसलमेर जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में पुलिस ने अवैध डोडा-पोस्त से लेकर अफीम, अफीम के दूध आदि मादक पदार्थों की बरामदगी करते हुए इसके तस्करों व विक्रेताओं को भी गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की। फिर भी जैसलमेर जैसे शांत प्रतीत होने वाले जिले में अंदरखाने मादक पदार्थों का धंधा फल-फूल रहा है। इसकी ताइद पुलिस की तरफ से की जाने वाली कार्रवाइयों से भी होती है। पिछले कुछ समय के दौरान जैसलमेर शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अफीम और डोडा-पोस्त के अलावा स्मैक व एमडी यानी एमडीएमए (मिथाइलीनडाईऑक्सी मैथाम्फेटामाइन यानी एक्सटैसी) की लत तेजी से फैल रही है। यह ड्रग्स आम तौर पर महानगरों विशेषकर फिल्मी पार्टियों में उपयोग में लिए जाने के लिए कुख्यात है। लेकिन अब इसकी पहुंच राजस्थान के अन्य शहरों की भांति सीमांत जैसलमेर तक बन गई है।

2 से 3 हजार प्रति ग्राम भाव

जानकारी के अनुसार जैसलमेर और आस-पास के इलाकों में एमडी 2000 से 3000 हजार रुपए प्रति ग्राम में बिक रहा है। जो कोकीन के बाद सबसे महंगा है। युवा इसका सेवन विभिन्न ब्रांड के गुटखा के साथ कर रहे हैं। कुछ पानी में घोलकर भी पीते हैं क्योंकि यह घुलनशील होता है। जैसलमेर के कई लोग पिछले दो वर्षों के दौरान एमडी के नशे की गिरफ्त में आकर हजारों-लाखों रुपए के साथ अपना मानसिक स्वास्थ्य गंवा चुके हैं। ऐसे ही व्यक्ति जो करीब 6 माह तक एमडी का नियमित सेवन कर आर्थिक तौर पर बर्बाद होने के बाद इससे तौबा कर चुका है, ने बताया कि शहर के कुछ प्रमुख स्थानों पर इसे बेचा जा रहा है। वहीं कुछ लडक़े ग्राहक की मांग पर उस तक जाकर भी सप्लाई कर आते हैं।

बढ़ रहे अपराध

  • एमडी और स्मैक के साथ अफीम आदि महंगे नशों की जकड़ में आए युवा इसे हासिल करने के लिए अपराध की दुनिया में भी कदम बढ़ा रहे हैं।
-जिले में विशेषकर जैसलमेर और आसपास चोरी की बढ़ती वारदातों के पीछे युवाओं में नशावृत्ति एक प्रमुख वजह है। कई नशेबाज इसका शिकार होने के बाद कर्ज के चक्रव्यूह में भी फंस चुके हैं।
  • जानकारी के अनुसार एमडी का सेवन करने वाले व्यक्ति का शरीर और दिमाग शिथिल पड़ जाता है। इसका एक बार सेवन करने से कई घंटे नशा रहता है। व्यक्ति दिन में कम से कम एक और ज्यादा पैसा होने पर दो बार भी इसका सेवन करता है। इस तरह से प्रतिदिन 2 से 5-6 हजार रुपए की भेंट चढ़ाई जा रही है।
  • इसका सेवन करने से शुरुआत में स्फूर्ति एवं उत्साह महसूस होता है, लेकिन आदत पडऩे पर दिमागी बीमारियां व चिड़चिड़ापन घेर लेते हैं। रहने लगता है। नशा करने वाला आत्महत्या की सोचने लगता है। नशों से बचें।
    हकीकत यह भी: हर किस्म का नशा मौजूद
    पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों की मानें तो दाम दिए जाने पर जैसलमेर में मादक पदार्थों की पूरी रेंज आसानी से मुहैया है। यहां के युवा बाहरी तत्वों के साथ मिलकर स्मैक, गांजा, चरस, अफीम से लेकर एमडी तक की सप्लाई कर रहे हैं। पर्यटकों के रूप में वर्ष पर्यंत जैसलमेर आने वाले कई देशी-विदेशी यहां घूमने की बजाए नशा करने पहुंचते हैं। शहर में स्थित कई छोटे-मोटे गेस्ट हाउस व होटल ऐसे हैं, जहां विदेशी लम्बे अर्से तक टिके रहते हैं, ये प्रमुख रूप से नशे के कारोबार के आधार पर ही संचालित हो रहे हैं। स्थानीय युवक जिनमें गाइडिंग, हैंडीक्राफ्ट, होटल आदि से जुड़े लोग व टैक्सी चालक प्रमुख हैं, ऐसे सैलानियों के साथ हर समय डोलते देखे जा सकते हैं। इस तरह के लोग इन सैलानियों को नशे का सामान मुहैया करवाने के काम में शामिल बताए जाते हैं। जानकारी के अनुसार पर्यटन सीजन के दिनों में बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली से लेकर गुजरात आदि राज्यों के युवा निजी वाहनों में सवार होकर मुख्यत: जैसलमेर और सम में ड्रग्स का सेवन करने के लिए भी आते हैं।

जैसलमेर में नहीं उपचार

नशावृत्ति की गिरफ्त में आने वाले व्यक्तियों के उपचार की वर्तमान में जैसलमेर में कोई व्यवस्था नहीं है। जिला अस्पताल में मनोरोग विशेषज्ञ का पद पिछले कई महीनों से रिक्त चल रहा है। पूर्व में यहां कार्यरत चिकित्सक की असामयिक मृत्यु हो गई थी। उसके बाद से यहां कोई विशेषज्ञ नियुक्त नहीं किया गया है। दरअसल मनोचिकित्सक ही नशा छुड़ाने में सबसे ज्यादा मदद किया करता है। काउंसलिंग से लेकर दवाइयों तक से उपचार किया जाता है।

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