काम करने वालों की कमी
दिवाली के सीजन में शहर के साथ ग्रामीण इलाकों में भी रंगाई-पुताई करने वाले कामगारों की भारी मांग सामने आ रही है। एक अनुमान के अनुसार 4 हजार से ज्यादा पेंटर इस काम में जुट गए हैं। उनकी दिहाड़ी में भी इजाफा हुआ है। साथ ही जो मजदूर निर्माण कार्यों पर केवल पत्थर और सीमेंट-बजरी ढोने का काम करते रहे हैं, उन्होंने भी हाथों में ब्रश थाम लिया है। रंग-पेंट विशेषकर लग्जरी माने जाने वाले ऑयल पेंट की कीमतों में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई है। इन सबके अलावा साज-सजावट के त्योहार दिवाली के मौके पर आशियानों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए घर-घर रंगाई-पुताई और निर्माण कार्यों में तेजी स्वाभाविक तौर पर भी हो गई है।
पर्यटन क्षेत्र में पेंटर्स की मांग
रंगाई-पुताई करने वालों को पर्यटन क्षेत्र में भी खूब काम मिल रहा है। सैकड़ों की तादाद में पेंटर्स को सम-खुहड़ी के रिसोट्र्स के अलावा जैसलमेर शहर की होटलों में पिछले एक पखवाड़े से भरपूर काम मिल रहा है। ऐसे एक-एक प्रतिष्ठान में दर्जन भर तक पेंटर्स की मंाग रहती है। इसके अलावा उन्हें घरों में पेंटिंग का काम करने के ऑर्डर मिले हुए हैं। इसके चलते ये पेंटर होटल-रिसोट्र्स में दिन-रात काम निपटाने में जुटे हुए हैं। पर्यटकों की इस बार खासी तादाद के जैसलमेर घूमने आने की संभावनाओं के मद्देनजर व्यवसायी अपने प्रतिष्ठानों को चमकाने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते हैं।
जारी है तेजी का दौर
शहर में दिवाली से पहले रंगाई-पुताई से संबंधित व्यवसाय करने तथा इस कार्य में जुटने वाले लोगों के तेजी का दौर चल रहा है। रंग-पेंट से लेकर अन्य हार्डवेयर का सामान बेचने वाले दुकानदारों को अच्छे व्यवसाय की पूर्व में जो उम्मीद थी, वह फलीभूत होती नजर आ रही है। पेंटर्स के अलावा निर्माण संबंधी कार्यों के कारीगरों व मजदूरों को दिन में 12 घंटे तक काम मिल रहा है। घर-प्रतिष्ठान संवारने वाले पेंटर्स की दिहाड़ी इन दिनों 1000 से 1200 रुपए तक पहुंच गई है। सामान्य दिनों में ऐसे कारीगर 700-800 रुपए तक में मिल जाते हैं। छोटे-मोटे कार्य के लिए तो श्रमिकों व कुशल कारीगरों की पूरी तरह से कमी देखने को मिल रही है। फैक्ट फाइल –
- 04 हजार से ज्यादा पेंटर जिले में कायर्रत
- 450 से 1650 रुपए लीटर ऑयल पेंट
- 1000 से 1200 रुपए तक पेंटर की दिहाड़ी
काम की कमी नहीं
इस बार दिवाली के सीजन में तमाम पेंटर्स और श्रमिकों को घरों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में अच्छा काम मिल रहा है। हमें बाहरी मजदूरों की भी भरपूर जरूरत है। बरसातों की वजह से भी हर किसी को घरों में रंगाई-पुताई करवाने की जरूरत महसूस हो रही है।