जैसलमेर

शारदीय नवरात्रि में स्वर्णनगरी की गलियों में गूंज रही डांडियों की खनक

स्वर्णनगरी में इन दिनों शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्ति और उल्लास में डूबी हुई है। गलियों से लेकर मुख्य मार्गों तक गरबा और डांडिया के नृत्य का खुमार हर तरफ छाया हुआ है।

जैसलमेरOct 04, 2024 / 09:06 pm

Deepak Vyas

स्वर्णनगरी में इन दिनों शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्ति और उल्लास में डूबी हुई है। गलियों से लेकर मुख्य मार्गों तक गरबा और डांडिया के नृत्य का खुमार हर तरफ छाया हुआ है। रंग-बिरंगी लाइटों से सजे पांडालों में युवा, पारंपरिक वेशभूषा में सजी-धजी महिलाएं और बच्चियां डीजे की धुन पर थिरकते नजर आ रहे हैं, जो देखते ही बनता है। श्रीब्रह्मक्षत्रिय खत्री समाज गरबा समिति की ओर से हिंगलाज मंदिर जीवणियाई बगेची के प्रांगण में दस दिवसीय गरबा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जो जैसलमेर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करता है। आयोजन का शुभारंभ मां हिंगलाज की संध्या आरती के बाद गरबा और डांडिया नृत्य से होता है। आयोजन की देखरेख समिति संरक्षक योगिता छुछा, अध्यक्ष नमिता डलोरा, उपाध्यक्ष निर्मला छुछा, कोषाध्यक्ष धनराज बिछड़ा, सचिव रोहित बिछड़ा, व्यवस्थापक प्रेम बिछड़ा एवं समिति की टीम कर रही है।

रंग-बिरंगी लाइटों में सजी स्वर्णनगरी

पारंपरिक गरबा और डांडिया रास में महिलाएं और युवतियां अपने रंगीन परिधानों और आभूषणों के साथ सजधज कर शामिल होती हैं। विभिन्न मंडलों में भीड़ उमड़ रही है, जहां गुजराती गीतों से लेकर फिल्मी गानों तक हर धुन पर कदमताल होती है। इस दौरान, हर कोई भक्ति भाव से मां दुर्गा की आराधना कर उनके प्रति आस्था प्रकट करता है।

गरबा के सुरों में रमा जैसलमेर

इन गरबा रास और डांडिया नृत्यों में शिरकत करने वाले लोगों के चेहरों पर उत्साह और खुशी की चमक साफ नजर आती है। जैसलमेर के लोग इन पलों को पूरी श्रद्धा और उमंग से जीते हैं। जैसलमेर में गरबा उत्सव की यह परंपरा भक्ति और संस्कृति की वह डोर है, जो लोगों को एकसूत्र में बांधती है।

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