यह करवाई है व्यवस्था
एएसआई के जिम्मेदारों ने बताया कि दुर्ग के बेसियन नं. 15 के समीप क्षतिग्रस्त दीवार के नीचे स्थित ढलान वाले क्षेत्र में लोहे के एंगलों सहित चैन लिंकिंग फैंसिंग लगवाई गई है, जिसके चलते अगर दीवार का संरक्षण कार्य करवाने की प्रक्रिया के दौरान क्षतिग्रस्त दीवार से यदि कोई पत्थर खिसक कर नीचे गिरे तो चैन फैंसिंग से पत्थर का रुकाव हो सके और दीवार के नीचे स्थित मार्ग पर चलने वाले राहगीरों व सामने स्थित दुकानदारों आदि के साथ कोई दुर्घटना न हो अथवा उन्हें आर्थिक हानि से बचाया जा सके। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग उपमंडल जैसलमेर के संरक्षण सहायक महेन्द्रप्रतापसिंह, गोविन्दसिंह और मुकेश मीणा के निर्देशन में कार्य करवाया जा रहा है। इसके अलावा पूर्व में जब दीवार गिरी तो उस वक्त से दीवार के नीचे स्थित मार्ग पर सुरक्षा के लिहाज से बैरिकेडिंग लगवाई गई थी जिससे आमजन को विगत कई महीनों से आवाजाही में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। अब पुरातत्व विभाग की ओर से पूर्व में लगी बैरिकेडिंग को हटवाते हुए व ढलाई वाले क्षेत्र में लगवाई गई चैन फैंसिंग के अलावा और अतिरिक्त ऐहतियात बरतते हुए भारी लोहे के एंगलों की सहायता से क्षतिग्रस्त दिवार के नीचे स्थित रोड़ पर शेड भी लगवाया गया है। इसेक बाद अब आमजन व दिन-प्रतिदिन होने वाले वाहनों के आवागमन की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए मार्ग को सुगम यातायात खोला गया है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि बेसियन नं. 44 व 45 के पास भी लोहे के एंगलों सहित चैन लिंकिंग फैंसिंग लगवाई गई है। पुरातत्व विभाग के अनुसार दुर्ग के बेसियन नं. 15 के समीप क्षतिग्रस्त दीवार व बेसियन नं. 44 व 45 के संरक्षण कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया के तहत निविदाएं भी आमंत्रित की जा चुकी हैं और निविदा प्रक्रिया पूर्ण होते ही कार्यादेश जारी करते कार्य प्रारंभ करवा दिया जाएगा।