सीमाएं केवल भूगोल में, मानवता के लिए नहीं
करणी गो रक्षक दल के संयोजक हाकमदान झीबा बताते हैं कि जैसलमेर की गलियों में नाडिया के साथ जुड़ते लोग केवल श्वानों की सेवा में ही नहीं, बल्कि एक बड़े सामाजिक संदेश को भी आगे बढ़ा रहे हैं। उनका प्रयास बताता है कि सीमाएं केवल भूगोल में होती हैं, मानवता के लिए नहीं। पशु प्रेमी महेन्द्र पंसारी व मालती पंसारी बताते हैं कि जैसलमेर की धरोहर, जहां दुर्ग, हवेलियां और रेत के टीले हैं, वहीं अब नाडिया का नाम भी सेवाभाव की इस धरती पर स्वर्णाक्षरों में जुड़ रहा है। जब नाडिया किसी श्वान को बीमार या घायल देखती है तो उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें छा जाती है और जब वह उन्हें स्वस्थ देखती है तो चेहरा खुशी से चमक उठता है। नाडिया को मरु संगीत की जानकारी देने वाले अकरम खां का कहना है कि जर्मनी में भले ही नाडिया पली-बढ़ी व पढ़ी हो, लेकिन उसका मन जैसलमेर की कला-संगीत और श्वानों की सेवा व सार-संभाल में ही लगता है। इसी लिए वह एक दशक से यहां आ रही है।