जैसलमेर

महात्मा गांधी विद्यालयों में प्रशासनिक उलझन: स्थायीकरण और सेवाभिलेखों पर स्पष्टता का इंतजार

जैसलमेर जिले में बीते शैक्षणिक सत्रों में कई सामान्य प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को महात्मा गांधी राजकीय विद्यालयों में परिवर्तित किया गया है।

जैसलमेरNov 19, 2024 / 08:29 pm

Deepak Vyas

जैसलमेर जिले में बीते शैक्षणिक सत्रों में कई सामान्य प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को महात्मा गांधी राजकीय विद्यालयों में परिवर्तित किया गया है। इस बदलाव के बाद जिले में 34 विद्यालय अब स्वतंत्र रूप से संचालित हो रहे हैं। विद्यालयों का यह प्रशासनिक पुनर्गठन नए अवसरों के साथ-साथ कई चुनौतियां भी लेकर आया है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि रूपांतरित विद्यालयों में संस्था प्रधानों यानी प्रधानाचार्य और अन्य पदों की स्वीकृति प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। इससे विद्यालयों के प्रशासनिक कार्यों में बाधा आ रही है। कार्मिकों के स्थायीकरण, एसीपी चयनित वेतनमान लाभ और सेवाभिलेखों के संधारण को लेकर स्पष्टता का अभाव है।

कर्मचारियों के लिए अनिश्चित भविष्य

हकीकत यह है कि विद्यालयों में कार्यरत कार्मिक वर्तमान में असमंजस की स्थिति में हैं। स्थायीकरण और एसीपी जैसी सुविधाओं के अभाव में उनकी नौकरी सुरक्षा और वेतन वृद्धि पर सवाल खड़े हो गए हैं। साथ ही, सेवाभिलेखों का सही ढंग से संधारण न होने के कारण उनके कॅरियर की प्रगति भी प्रभावित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

….. फिर भी नहीं निकला समाधान

विभागीय सूत्रों के अनुसार इस जटिल स्थिति के समाधान के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने महात्मा गांधी विद्यालय, निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान अजमेर के उपनिदेशक को पत्र प्रेषित किया था। पत्र में उन्होंने स्पष्ट रूप से मार्गदर्शन मांगा कि इन विद्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों के स्थायीकरण, एसीपी लाभ, और सेवाभिलेखों के संधारण की जिम्मेदारी किस पर होगी? हालांकि अभी तक मार्गदर्शन नहीं मिला है। मार्गदर्शन मांगे जाने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही उपनिदेशक स्तर से स्पष्ट निर्देश प्राप्त होंगे। इससे न केवल कर्मचारियों की चिंताओं का समाधान होगा, बल्कि विद्यालयों का प्रशासनिक कार्य भी सुचारू रूप से संचालित हो सकेगा।

हकीकत यह भी

-महात्मा गांधी विद्यालयों में चयनित होकर आए शिक्षकों की वेतन व्यवस्था जिले के अन्य सामान्य विद्यालयों के रिक्त पदों से की जा रही है।
-अन्य जिलों या अन्य सामान्य विद्यालयों से महात्मा गांधी विद्यालयों में चयनित होकर आए शिक्षकों की सेवा पुस्तिका उनके पूर्व पदस्थापन स्थान पर ही पड़ी है।
-वे जिन प्राथमिक या उच्च प्राथमिक महात्मा गांधी विद्यालयों में चयनित होकर आए हैं, वहां प्रधानाचार्य का पद नहीं होने के कारण सेवा पुस्तिका नहीं रख सकते।
-जिन सामान्य विद्यालयों से वेतन व्यवस्था की गई है, उनका तर्क है कि उनका काम केवल वेतन देने का ही है और वह भी तब जब उनके विद्यालय में पद रिक्त है। जब पद भर जाएंगे तो आगामी वेतन व्यवस्था फिर किसी अन्य रिक्त पद वाले विद्यालय से की जाएगी।
-वेतन व्यवस्था के तहत जो विद्यालय वेतन दे रहे हैं, वे कार्मिकों की एसीपी, स्थायीकरण या वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए मना कर रहे हैं, क्योंकि सर्विसबुक उनके पास नहीं है। विभाग की ओर से भी इस संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है।
-पदस्थापित विद्यालयों मेंं सेवा पुस्तिका नहीं होने से उपार्जित अवकाश, मेडिकल अवकाश भी कार्मिक को नहीं मिल पा रहा है।
-नवीन रूपांतरित विद्यालय प्रारंभ में प्राथमिक स्तर तक संचालित होते हैं। फिर प्रतिवर्ष 1 कक्षा क्रमोन्नत होती है। जैसे प्रारंभ होने पर पांचवी, छठी और अगले वर्ष 7 वीं।
-नौवीं कक्षा में प्रधानाचार्य डीडीओ का पद स्वीकृत होता है।

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