दीपावली तक होगा एक करोड़ का व्यापार
कुंभकार समाज की ओर से बनाए जाने वाले दीपक और भगवान गणेश व मां लक्ष्मी की मूर्तियां दीपावली के 5 दिवसीय त्यौहार के मौके पर घरों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर लगाए जाते है। इसलिए कुंभकार इसे श्राद्ध पक्ष में नहीं बनाकर इसे बनाने का कार्य नवरात्रा से शुरू करते है। नवरात्र के दौरान कुम्हार परिवार दीपक व मूर्तियां बनाने के कार्य में जुट गए थे। ये कस्बे के अलावा जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर व फलोदी जिले के गांवों में भी बिकते है। जिससे इन परिवारों को दीपावली के मौके पर अच्छा रोजगार मिल जाता है। कस्बे के भवानीपोल क्षेत्र में निवास करने वाले करीब 100 कुम्हार परिवार दीपावली के दिनों में मिट्टी के दीपक व मूर्तियां बनाने का कार्य करते है। दीपक के विक्रय से एक परिवार को एक लाख रुपए से अधिक की आय होती है। ऐसे में दीपावली तक पोकरण के कुंभकार करीब एक करोड़ रुपए के मिट्टी के दीपक विक्रय करेंगे। पोकरण की लाल मिट्टी से ही बनते है दीपक पोकरण में निवास कर रहे कुम्हार जाति के करीब 35 परिवार वर्षपर्यंत मिट्टी के दीपक बनाते है। जबकि दीपावली के त्यौहार के दौरान 100 से अधिक परिवार दीपक बनाने का कार्य कर रहे है। दीपक बनाने के लिए लाल मिट्टी पोकरण कस्बे से 5 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड स्थित रिण क्षेत्र में ही निकलती है। यहां निकलने वाली मिट्टी लाल व चिकनी होती है। जिससे दीपक आसानी से बन जाते है। उद्योग एवं खनन विभाग की ओर से कस्बे के कुंभकार समाज के लिए रिण क्षेत्र में कुछ खसरे आरक्षित कर इन्हें आवंटित किए गए है। यहां से खुदाई कर लाल मिट्टी लाने के बाद उसकी कुटाई कर उसका बुरादा किया जाता है और उसको बड़ी छलनी से छानकर व कई दिनों तक पानी में भिगोया जाता है। भिगोने से चिकनी होने के बाद उस मिट्टी से दीपक व अन्य सामान बनाए जाते है।