हैरानी की बात यह है कि करीब छह माह पहले मानसरोवर जोन कार्यालय से 100 मीटर की सीवर लाइन को बदलने का प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय में भेजा था। मुख्यालय में फाइल होल्ड पर चली गई। यह प्रस्ताव 49 लाख रुपए का था। एक बार में क्षतिग्रस्त सीवर लाइन को सही कराने में तीन से चार लाख रुपए खर्च होते हैं। निगम अधिकारी अब यह कह रहे हैं कि अमृत 2.0 योजना के तहत इस लाइन को बदलवाया जाएगा।
कई सीवर लाइन आकर मिलती हैं इसमें
मानसरोवर और आस-पास की कॉलोनियों की कई सीवर लाइन आकर इस 900 एमएम व्यास की सीवर लाइन में आकर मिलती हैं। मानसून के दौरान बरसात का पानी भी सीवर लाइन में आ जाता है। ऐसे में फ्लो तेज होने की वजह से जर्जर सीवर लाइन जवाब दे जाती हैं। शिप्रा पथ से ये लाइन देहलावास एसटीपी तक जाती है।
जानकारों की मानें तो वर्ष 1980 से 1884 के बीच इस सीवर लाइन को डाला गया था। औसतन 30 से 35 वर्ष ही सीमेंटेड सीवर लाइन की लाइफ होती है।
मानसरोवर और आस-पास की कॉलोनियों की कई सीवर लाइन आकर इस 900 एमएम व्यास की सीवर लाइन में आकर मिलती हैं। मानसून के दौरान बरसात का पानी भी सीवर लाइन में आ जाता है। ऐसे में फ्लो तेज होने की वजह से जर्जर सीवर लाइन जवाब दे जाती हैं। शिप्रा पथ से ये लाइन देहलावास एसटीपी तक जाती है।
जानकारों की मानें तो वर्ष 1980 से 1884 के बीच इस सीवर लाइन को डाला गया था। औसतन 30 से 35 वर्ष ही सीमेंटेड सीवर लाइन की लाइफ होती है।
मरम्मत का काम शुरू कर दिया है। लाइन में जो पानी आ रहा है, उसको मड पम्प की सहायता से बाहर निकाल रहे हैं। रात में का फ्लो कम होने के बाद पाइप को बदलने का काम शुरू किया जाएगा। मंगलवार तक पूरा काम कर देंगे।
-महेश शर्मा, एक्सईएन, मानसरोवर जोन
-महेश शर्मा, एक्सईएन, मानसरोवर जोन