यह भी पढ़े: दिवाली पर बढ़ी मिठास, नए गुड़ का श्रीगणेश, चीनी महंगी काबली चने की फसल हुई लेट
विशेषज्ञों के मुताबिक बिजाई कम होने तथा प्रतिकूल मौसम के कारण काबली की फसल एक माह देरी से आई है। अभी काबली चने की आवक भोपाल एवं इंदौर में कम रह गई है। आंध्र प्रदेश की रायसीमा लाइन में भी काबली चना कम आ रहा है। महाराष्ट्र के अकोला एवं जलगांव में काबली की आवक अपेक्षाकृत कमजोर चल रही है। वर्ष 2019-20 में देश में 20 लाख टन काबली पैदा हुआ था। उसके बाद वर्ष 2020-21 में उत्पादन 15 लाख टन रह गया। इस बार भी 14 लाख टन से ज्यादा पैदावार का अनुमान नहीं है। पुराना स्टॉक काफी कट चुका है। नए माल का मंडियों में प्रैशर नहीं है। इन परिस्थितियों को देखते हुए काबली चने में और तेजी के संकेत बन रहे हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक बिजाई कम होने तथा प्रतिकूल मौसम के कारण काबली की फसल एक माह देरी से आई है। अभी काबली चने की आवक भोपाल एवं इंदौर में कम रह गई है। आंध्र प्रदेश की रायसीमा लाइन में भी काबली चना कम आ रहा है। महाराष्ट्र के अकोला एवं जलगांव में काबली की आवक अपेक्षाकृत कमजोर चल रही है। वर्ष 2019-20 में देश में 20 लाख टन काबली पैदा हुआ था। उसके बाद वर्ष 2020-21 में उत्पादन 15 लाख टन रह गया। इस बार भी 14 लाख टन से ज्यादा पैदावार का अनुमान नहीं है। पुराना स्टॉक काफी कट चुका है। नए माल का मंडियों में प्रैशर नहीं है। इन परिस्थितियों को देखते हुए काबली चने में और तेजी के संकेत बन रहे हैं।