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Year Ender 2022: सियासत का अजब — गजब खेल, गहलोत अपने इस ‘दांव’ से बचा पाए मुख्यमंत्री की कुर्सी

Year Ender 2022: करीब तीन महीने पहले 25 सितम्बर की बात हैं। नई दिल्ली में पटकथा लिखी जा चुकी थी और बस उसे अंजाम तक पहुंचाना था।

जयपुरDec 30, 2022 / 07:27 pm

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करीब तीन महीने पहले 25 सितम्बर की बात हैं। नई दिल्ली में पटकथा लिखी जा चुकी थी और बस उसे अंजाम तक पहुंचाना था। उस वक्त राजस्थान कांग्रेस में अभूतपूर्व ड्रामा देखने को मिला। ये लगभग तय माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे और राजस्थान को नया सीएम मिलेगा। यानि सचिन पायलट का सीएम बनना तय हो गया था।
सब कुछ ठीक चल रहा था। कांग्रेस हाईकमान ने 25 सितंबर को जयपुर में विधायक दल की बैठक बुला ली थी और उस दिन गहलोत की जगह पायलट को विधायक दल का नेता या कांग्रेस आलाकमान को इस बारे में फैसला करने का अधिकार दिया जाना था।
गहलोत भी पीसीसी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के साथ जैसलमेर में तनोट माता के दर्शन के लिए चले गए और शाम को वापस अपने निवास पर आ गए थे। सीएमआर में शाम को 7 बजे विधायक दल की बैठक होनी थी। पर्यवेक्षक के रूप में प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खडगे भी जयपुर पहुंच चुके थे।
सीएमआर नहीं पहुंचे गहलोत समर्थक विधायक: दिन भर पर्दे के पीछे से रणनीति बनती रही और आखिरकार शाम से ही गहलोत समर्थक विधायक सीएमआर के बजाय गहलोत के खास शांति धारीवाल के घर पर जुटने शुरू हो गए और वो संख्या 90 तक पहुंच गई।
गहलोत समर्थक विधायकों ने सीएमआर जाने से इन्कार कर दिया और चेतावनी दे दी कि यदि सचिन पायलट को सीएम बनाया तो वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। प्रभारी माकन और खड़गे ने उन्हें बुलाने के प्रयास किए लेकिन सब कोशिशें फेल हो गई। वहीं सीएमआर में पायलट सहित उनके समर्थक विधायक पहुंच चुके थे और वे इंतजार ही करते रह गए। विधायकों की बगावत के बाद ये बैठक रद्द कर दी गई है।
गहलोत समर्थक विधायकों ने दिया इस्तीफा:

इसी बीच गहलोत गुट के विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी के घर जाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया है दरअसल, विधायक दल की बैठक से पहले गहलोत समर्थक विधायकों ने सामूहिक इस्तीफा देने की बात कही थी जिसके बाद केसी वेणुगोपाल ने अशोक गहलोत और खडगे से फोन पर बात की। वेणुगोपाल ने गहलोत से विधायकों की नाराजगी की वजह पूछी, इस पर गहलोत ने इसे विधायकों का मूव बताया और कहा कि ये विधायकों की भावना है। स्पीकर के घर जाने से पहले गहलोत गुट के प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि, सभी विधायक गुस्से में हैं और इस्तीफा दे रहे हैं विधायक इस बात से खफा हैं कि सीएम अशोक गहलोत उनसे सलाह किए बिना कैसे फैसला ले सकते हैं सीएम गहलोत विधायकों की सलाह पर ध्यान दें। हमारे साथ 92 विधायक हैं।
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पायलट के नाम पर राजी नहीं :
गहलोत समर्थक विधायकों ने धारीवाल के घर पर बैठक में साफ कह दिया कि अगर सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में जाते हैं और मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देते हैं तो नया सीएम उन 102 विधायकों में से बनाया जाए जो पायलट की सरकार गिराने की कोशिश के दौरान कांग्रेस के साथ खड़े थे। यहीं नहीं कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी बैठक में शामिल नहीं होगा। तीन शर्तें भी रखी गई इनमें पहली शर्त सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने। दूसरी- सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए। तीसरी जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही हो।

अगले दिल दिल्ली लौट गए पर्यवेक्षक: कांग्रेस के दोनों पर्यवेक्षक नाराज होकर अगले दिन दिल्ली लौट गए और वे बोल गए कि इस मामले में उस वक्त कांग्रेस की अध्यक्ष रही सोनिया गांधी को रिपोर्ट देंगे। राजस्थान कांग्रेस में जिस तरह से सियासी संकट की स्थिति पैदा हुई है, इसका अंदाजा हाईकमान को भी नहीं रहा होगा क्योंकि गहलोत के पार्टी अध्यक्ष चुनाव लड़ने के बाद कयास लगाया जा रहा था कि अब सब कुछ कांग्रेस पार्टी में सामान्य सा हो जाएगा लेकिन उसके उलट देखने को मिला। सचिन पायलट के सीएम बनने की चर्चा को लेकर गहलोत गुट इस तरह से बागी हो गया कि पार्टी हाईकमान भी हैरान था। गहलोत ने हाईकमान को अपनी शक्ति का भी एहसास करा दिया।
अगले दिन फिर धमाका: इस घटना के अगले दिन सोमवार शाम को शांति धारीवाल ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन और सचिन पायलट पर बड़ा हमला बोला। धारीवाल ने कहा कि डिप्टी सीएम रहते हुए, प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए 34 दिन तक सरकार गिराने की कोशिश करने वाले को सीएम बनाने के लिए अजय माकन आए थे। हमें लगातार कई दिनों से सूचनाएं आ रही थी कि वे पायलट के समर्थन में प्रचार करने के लिए कहा करते थे। हमारे पास इसके सबूत है। वे सीएम अशोक गहलोत को हटाने के लिए षड्यंत्र कर रहे थे। इससे विधायक नाराज हो गए। गद्दारी करने वालों को पुरुस्कार दिया जाए, ये यहां का विधायक कभी स्वीकार नहीं करेगा। मेरी 50 साल की राजनीति हो गई, एक बार भी अनुशासनहीनता नहीं की है।
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गहलोत दिल्ली गए, सोनिया से माफी मांगी:
घटना के चौथे दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नई दिल्ली गए और उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात हुई। इसके बाद गहलोत ने साफ कर दिया कि वे कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के साथ बैठकर मैंने बात की है। मैंने हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है। विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया। ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है।गहलोत ने कहा कि हमारे यहां हमेशा से परंपरा रही है कि हम पार्टी अध्यक्ष के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पास करते हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद मैं यह एक लाइन का प्रस्ताव पास नहीं करवा पाया, इस बात का दुख रहेगा।
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तीन नेताओं को मिला था नोटिस: आलाकमान ने माना था गंभीर
राजस्थान में इस मामले को लेकर आलाकमान नाराज हुआ और इसे लेकर तत्कालीन राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को भेजी थी। इसके बाद पार्टी की अनुशासन समिति ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया और जवाब मांगा था। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ ने इसका जवाब भी भेज दिया था।
माकन गए, सुखजिंदर बने नए प्रभारी : इन सब राजनीतिक घटनाओं के बीच अचानक से राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने अपना इस्तीफा भेज दिया और उनके स्थान पर पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान की कमान दी गई। माकन ने अपने इस्तीफे में गत 25 सितंबर की घटना का उल्लेख भी किया और ये भी कहा कि वे अपना फोकस अब दिल्ली में करेंगे। माकन को 2020 में अविनाश पांडे के स्थान पर राजस्थान प्रभारी बनाया गया था और वे दो साल से ज्यादा इस पर रहे।
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गहलोत— पायलट को जोड़ने का संदेश देकर चले गए राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की इस माह राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा भी चली। राहुल ने छह जिले और करीब पौने पांच सौ किलोमीटर को पैदल नापा। 4 दिसंबर की शाम को यात्रा की झालावाड़ में एंट्री हुई थी और 20 दिसंबर की शाम इसका राजस्थान में सफर पूरा हो गया। राहुल ने अपनी इस यात्रा में नेताओं को नसीहत दी वहीं कार्यकर्ताओं की आवाज भी उठाई। यहीं नहीं गहलोत सरकार की बेहतरीन योजनाओं की तारीफ की तो कई बार नेताओं को कड़वी बात भी बोल दी। यात्रा के समापन पर राहुल गांधी ने सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और हरीश चौधरी के गले मिलकर हरियाणा का रूख किया।

यात्रा को मिला राजस्थान में जनता का साथ : राहुल गांधी की इस यात्रा को जनता का साथ भी मिला। जिस भी जिले से यात्रा गुजरी, वहां पर जनता ने रेस्पांस दिया और राहुल गांधी ने भी उनसे अपनत्व भाव से मुलाकात की। बुजुर्ग, युवा, महिलाओं के साथ राहुल गांधी लगातार संवाद भी करते रहे। यात्रा में राहुल गांधी के सामने लोग कोई समस्या लेकर आए तो राहुल ने भी हाथो हाथ सीएम अशोक गहलोत को इसे दूर करने के निर्देश दिए।
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नेताओं को कहा, नुकसान न करें पार्टी का :
राहुल गांधी ने यात्रा के बीच में जयपुर में मीडिया से बातचीत भी की और कहा कि राजस्थान कांग्रेस में कोई अनिर्णय की स्थिति नहीं है। थोड़ा थोड़ा चलता है। हमारी पार्टी फासिस्टवादी नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि ये हमारी पार्टी का स्टक्च्र है। कभी किसी कि यदि किसी के अलग विचार है तो हम उसे स्वीकार करते है। बस ज्यादा नुकसान नहीं होना चाहिए। ज्यादा होता है तो हम एक्शन भी लेते है। राहुल गांधी ने कहा कि यात्रा का सबसे अच्छा अनुभव राजस्थान का रहा है। हम डर और नफरत की राजनीति को मिटाना चाहते है। महंगाई और बेरोजगारी को दूर करने के लिए संघर्ष कर रहे है। मेरी राय हैं कि कांग्रेस पार्टी में मेन इश्यू हैं कि आम कार्यकर्ता जो है जो कार्यकर्ता सडक पर लडता है। उसे हमें जगह देनी है। राजस्थान ही नहीं जहां जहां यात्रा गई हैं, वहां का एक्सपीरियंस है कि हमारी पार्टी में लाखों कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि आम नागरिक भी इससे प्यार करते है। राजस्थान में चिरंजीवी योजना के लिए लोग कहते हैं कि ये बहुत अच्छी योजना है। शहरी मनरेगा की बात करते है। राहुल गांधी ने कहा कि राजस्थान में बहुत अच्छा महसूस किया है। जो हमारे कार्यकर्ता का अच्छे से प्रयोग किया तो हम जीतेंगे। राहुल गांधी ने कहा कि हमने कार्यकर्ता की ताकत देखी है। यदि अच्छा उपयोग किया तो जीत होगी। कहीं कोई प्रॉब्लम नही है। हमने सही जगह दे दी तो क्लीन स्वीप कर देंगे।
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रंधावा ने शुरू किया मिशन 2023

राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने अपने जयपुर दौरे के दौरान पहले कांग्रेस के प्रदेश अधिवेशन में हिस्सा लिया। इस दौरान नेताओं ने अपनी बात भी कही। इसके बाद अगले दो दिन तक पीसीसी वॉर रूम में उन्होंने सबसे पहले विधानसभा चुनाव हारे उम्मीदवारों के साथ बैठक की और फीडबैक लिया। इसके बाद रंधावा ने जिलाध्यक्षों से मुलाकात करके उन्हें जिलों में संगठन को मजबूत और सक्रिय करने के निर्देश दिए। बाद में पीसीसी पदाधिकारियों और कई मंत्रियों ने भी रंधावा से मिलकर अपनी राय दी। इसके साथ साथ कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने मिलकर अपनी बात कही।
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राजस्थान कांग्रेस में संगठन के बड़े फैसले होने तय

कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का कहना हैं कि राजस्थान में संगठन को मजबूत करना उनकी पहली प्राथमिकता हैं और जल्द ही खाली पड़े पदों को भर दिया जाएगा। ऐसे में माना जा रहा हैं कि बचे हुए जिला अध्यक्षों और ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति जल्द होने जा रही है। उन्होंने कहा कि राजस्थान कांग्रेस में सब ठीक है और वैसे भी वे फाइव स्टार होटल में बैठने नहीं आया हूं। सबसे मिल रहा हूं और जल्द ही फैसले होंगे।
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मंत्रियों की मनमानी पर लगेगी लगाम

कांग्रेस आलाकमान गहलोत सरकार के मंत्रियों के खिलाफ शिकायतों को देखते हुए अब उन पर अपना शिकंजा कसने जा रहा है। मंत्रियों की मनमानी पर रोक लगेगी और उन्हें जनता के बीच जाकर सुनवाई करनी पड़ेगी और पार्टी कार्यकर्ताओं की समस्या और उनके कामों को पूरा करना होगा। अन्यथा मंत्रियों के पद ले लिए जाएंगे। राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मंत्रियों को साफ कह दिया हैं कि राजस्थान में कांग्रेस को हर सूरत में सरकार रिपीट करनी होगी और इसके लिए जो भी टास्क दिया जाएगा उसे हर हाल में पूरा करना पडेगा।

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