जयपुर

Dhanteras 2020 Yam Deep Daan मौत के देवता की पूजा का एकमात्र मौका, जानिए यमराज से क्या मिलता है फल

सनातन धर्म में यमराज को मृत्यु के देवता के रूप में जाना जाता है। यमराज के दूत ही मृत्यु के समय आत्मा को लेने के लिये आते हैं। वेदों में इनका उल्लेख सूर्यदेव के पुत्र के रूप में किया गया है। वैदिक काल में यज्ञों में यमदेव की भी पूजा की जाती थी और उन्हें हविष्य भी दिया जाता था।

जयपुरNov 09, 2020 / 07:51 pm

deepak deewan

YAMA DEEP DAAN YAMA DEEP DAAN AT DHANTERAS

जयपुर. सनातन धर्म में यमराज को मृत्यु के देवता के रूप में जाना जाता है। यमराज के दूत ही मृत्यु के समय आत्मा को लेने के लिये आते हैं। वेदों में इनका उल्लेख सूर्यदेव के पुत्र के रूप में किया गया है। वैदिक काल में यज्ञों में यमदेव की भी पूजा की जाती थी और उन्हें हविष्य भी दिया जाता था।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि भैंसे पर सवार रहनेवाले दण्डधर यमराज जीवों के शुभाशुभ कर्मों के निर्णायक हैं। इनका एक अलग लोक जिसे यमलोक कहा जाता है। मौत के बाद मनुष्य यमलोक में ही जाता है जहां यमराज उनके कर्मों के आधार पर उसे स्वर्ग या नरक में भेजते हैं। यमराज दक्षिण दिशा के दिक् पाल कहे गए हैं।
लोककथा के अनुसार एक राजपुत्र की शादी के चार दिन बाद ही मौत हो गई। उसकी नवविवाहिता पत्नी का करुण विलाप सुनकर यमदूत भी द्रवित हो उठे। उन्होंने यमराज से पूछा कि जीवों को मौत देते समय उनमें दयाभाव क्यों नहीं आते! यमराज ने बताया कि उनका कर्तव्य ही यही है। इसपर दूतों ने उनसे अकाल मृत्यु से बचने का उपाय बताने की प्रार्थना की।
यमराज ने कहा कि धनतेरस की शाम दक्षिण दिशा में दीप जलाकर रखने से अकाल मृत्यु नहीं होगी। यही कारण है कि धनतेरस को आंगन में दक्षिण दिशा में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं और यमदेव की पूजा करते हैं। यमराज की पूजा धनतेरस पर ही की जाती है। इससे अकाल मौत के भय से मुक्ति मिलती है।

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