वर्ल्ड सुनामी अवेयरनेस डे के इतिहास पर नजर डाले तो आपको बता दें कि वर्ष 2004 में हिंद महासागर के पानी ने विकराल रूप धारण किया। हिंद महासागर में भूकंप के कारण सुनामी उठी। जिसने लगभग 15 देशों में करीब पांच लाख लोगों को बुरी तरह से प्रभावित किया। सुनामी में काफी कुछ तहस नहस हो गया। सुनामी एक वैश्विक समस्या है। वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 5 नवंबर के दिन को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया। उसके बाद से दुनिया भर में सुनामी के बारे में लोगों को सामान्यतौर जागरूकता करने के लिए कई कार्यक्रम किए जाते हैं। दुनिया में 2016 को पहली बार विश्व सुनामी जागरूकता दिवस नाया गया।
भारत में हुआ यह आयोजन
पहली बार मनाए गए विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के तहत डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (DRR) चैंपियंस में AMCDRR (एशियन मिनिस्टर कांफ्रेंस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन) की घटनाओं का आयोजन किया गया। इतना ही नहीं, आपदा जोखिम कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सहयोग से भारत में केन्द्र सरकार ने भी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 2016 में ही 3 से 5 नवंबर तक एक सम्मेलन आयोजित किया। हालांकि सुनामी तुलनात्मक रूप से प्राकृतिक आपदा का एक असाधारण प्रकार है। भविष्य में भी यह दुनिया के कई देशों में विनाश का कारण बनता है। यह दुनिया के लिए एक संभावित गंभीर खतरा है