फिनलैंड के लगातार तीसरी बार दुनिया के सबसे खुशहाल देश का खिताब जीतने का सबसे बड़ा कारण है यहां की व्यवस्था और रहन-सहन का तरीका। यहां बेहतरीन सामाजिक सामंजस्य है, जिससे लोग हमेशा एक-दूसरे की मदद को तैयार रहते हैं। लोगों में विश्वास और प्यार है, जिसकी बदौलत यहां का काम-काज सुचारू रूप से चलता रहता है। फिनलैंड की खुशहाली का मुख्य कारण उसकी ईमानदार सरकार है जिसमें लोगों का भरोसा कायम है, इसके अलावा सुरक्षित वातावरण और स्वस्थ जीवनशैली भी इसे औरों से अलग बनाती है। 2020 की रिपोर्ट में 156 देशों को शामिल किया गया है, जिसमें वहां के नागरिकों के जीवन का मूल्यांकन किया गया कि वे खुद को कितना खुश मानते हैं।
टॉप 10 में उत्तरी यूरोप के सभी देश
यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट में टॉप 10 में जगह बनाने वाले सभी देश उत्तरी यूरोप के हैं। इनमें फिनलैंड ने डेनमार्क, स्विट्जरलैंड और आईसलैंड को बेहद मामूली अंतर से पीछे छोड़ा है। ब्रिटेन शीर्ष 10 से बाहर होकर 13वें स्थान पर पहुंच गया, जबकि अमरीका 18वें स्थान पर रहा। रिपोर्ट के सम्पादकों में शामिल जेफ्री साक के अनुसार वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट इसके निर्माताओं के लिए एक बेहतर उपकरण साबित हुई है, जिससे यह जानने में मदद मिली कि लोगों को आखिर किस चीज में खुशी मिलती है और किसी देश के नागरिकों को बेहतर जीवनशैली देने के लिए क्या-क्या आवश्यक है। रिपोर्ट में इस बार सबसे कम खुशहाल देशों की सूची भी जारी की गई है, इनमें अफगानिस्तान, दक्षिण सूडान, जिम्बाब्वे, रवांडा और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक शामिल थे। 2020 की रिपोर्ट में पहली बार स्वतंत्र रूप से शहरों का भी आंकलन किया गया। इसके तहत उन शहरों के लोगों से अपनी राय रखने को कहा गया कि उनका अपने शहर के बारे में क्या सोचना है। इस रिपोर्ट में अप्रत्याशित रूप से फिनलैंड की राजधानी हेलिंस्की शीर्ष स्थान पर रही, यहां के लोग सबसे ज्यादा खुशहाल हैं।
भारत को मिला 10वां स्थान
सूची में भारत सबसे कम खुशहाल देशों में 10वें स्थान पर रहा। वहीं भारत की राजधानी दिल्ली सबसे कम खुशहाल देशों में 7वें नम्बर पर। इसका सबसे बड़ा कारण भारत की प्रशासनिक व्यवस्थाएं और सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार है। भारत के लोग अक्सर सरकारी व्यवस्थाओं से नाखुश दिखते हैं, इसलिए यूनाईटेड नेशंस की रिपोर्ट में भारतवासियों पर किए गए सर्वे के आधार पर इस देश को 10वां स्थान मिला।