जेडीए ने प्रस्ताव भेजा 2392 पदों का, वित्त विभाग ने स्वीकृति दी 1958 की
सर्वे में पूछे गए सावल और उनके जवाब
क्या आपको लगता है कि अब ऑनलाइन फूड डिलीवरी युवाओं की जरूरत बन गई है ?
हां – 94.1
ना – 5.9
आप ऑनलाइन खाना कितनी बार ऑर्डर करते हैं?
– हफ्ते में एक बार – 26.5
– वीकेंड पर – 24.5
– माह में दो से तीन बार – 49
रेस्त्रां में जाकर खाना महंगा पड़ता है या ऑनलाइन?
– ऑनलाइन – 40
– रेस्त्रां – 30
– दोनों में बराबर – 30
क्या घर के बुजुर्ग और महिलाओं की भी ऑनलाइन खाना मंगवाने में रुचि होती है?
– हां, कभी-कभी बदलाव के लिए – 60.8
– नहीं – 39.2
क्या खाना लाने वाले डिलीवरी बॉय को रेस्टोरेंट या होटल के वेटर की तरह टिप देते हैं ?
– हां – 28
– नहीं – 26
– कभी कभी – 46
किस तरह का खाना ज्यादातर ऑर्डर करते हैं?
– लंच – 8.2
– डिनर – 53.1
– ब्रेकफास्ट – 6.1
– मिड डे स्नैक – 32.7
यह बोले बोले युवा
– विद्याधर नगर निवासी एकलव्य सोनी का कहना है कि मैं ज्यादातर कामकाज से लेट फ्री होता हूं तो मिडनाइट ऑनलाइन फूड ऑर्डर करता ही रहता हूं। ऑनलाइन फूड में लगभग डिनर ही ऑर्डर करता हूं। कई बार ऑनलाइन फूड ऐप के जरिए कई ऑफर्स और कूपन्स भी मिलते हैं, जिससे रेस्त्रां के मुकाबले कभी-कभी खाना सस्ता पड़ता है।
कई सीटों पर बवाल, नए सिरे से होमवर्क, दूसरी सूची का बढ़ा इंतजार
– राजा पार्क निवासी मानसी सारदा ने बताया ने बताया वह ऑनलाइन फूड में मिड-डे स्नैक्स ज्यादा ऑर्डर करती है। मानसी का कहना है वह महीने में दो से तीन बार अपने पसंदीदा रेस्त्रां और कैफे से ऑनलाइन फूड मंगाती है। खाना ऑनलाइन मंगवाना ज्यादा बेहतर लगता है, रेस्त्रां में जाकर खाने के मुकाबले। अब शहर में 24 घंटे ऑनलाइन फूड डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध है।