हेरिटेज नगर निगम जयपुर और खलकाणी माता मानव सेवा संस्थान के सहयोग से भावगढ़ बंध्या में आयोजित चार दिवसीय खलकाणी माता का गर्दभ मेले का अगले साल फिर मिलने के वादे के साथ आज समापन होगा। कोरोना के कारण इस बार भी मेली फीका ही रहा। मेले में घोड़ों की संख्या भी कम रही। मेले में खरीदार खूब आने से पशुपालकों को मन माफिक कीमत मिली। कोरोना के कारण इस बार किसी तरह का समारोह या प्रतियोगिताओं का आयोजन नहीं हुआ।
होता था करोड़ों का व्यापार
भावगढ़ बंध्या में चल रहे खलकाणी माता के गर्दभ मेले में लाए गए एक से बढ़कर एक घोड़ा-घोड़ी में सबसे ज्यादा चर्चाओं में सुल्तान और बादल रहे। इनका मोल-तोल तो चला, मगर दोनों के मालिक बेचने को तैयार नहीं हुए। गर्दभ मेले में हर साल पशुओं का करोड़ों का व्यापार होता है। अश्व पालन के शोकिन यहां से घोड़ों की खरीद-फरोख्त करते हैं।
खास बात यह है कि दो और छह महीने की उम्र वाले घोड़ा-घोड़ी की खरीद-फरोख्त सबसे ज्यादा होती हैं। इन सबकी कीमत अलग-अलग है। इस बार भी मेले में राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात के भी पशु व्यापारी आए।
नायला से आए चंदालाल मीणा अपने घोड़े सुल्तान की खूबियां बताते हुए नहीं थकते।
वे कहते हैं सुल्तान मालिक के इशारों को समझता है। नाचने को कहते ही करतब दिखाने लगता है। वहीं जयपुर के सुमित जैन का 16 महीने का 61 इंची हाइट वाला बादल अपनी सुंदरता से लोगों को आकर्षित कर रहा है। सुमित बताते है कि बादल सारी बात आवाज व इशारों से समझ लेता है।