जयपुर. कार्यस्थल व सार्वजनिक स्थल पर महिलाओं के लिए टॉयलेट की कमी के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। इस बीच सामने आया कि साफ-सफाई नहीं होने के कारण महिला अधिकारी तक ड्यूटी के दौरान कार्यस्थल पर बने टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं करतीं। उधर, हाईकोर्ट के प्रसंज्ञान लेने के बाद कुछ विधायकों ने शहरी निकायों के माध्यम से महिला टॉयलेट बनवाने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन अब तक किसी महिला विधायक ने महिला टॉयलेट बनवाने के लिए विधायक कोष के द्वार नहीं खोले हैं।
महिला विधायकों से जब इस बारे में बात की गई तो जवाब मिला, महिला टॉयलेट की कमी बड़ी समस्या है। बालिका विद्यालयों में विधायक कोष से टॉयलेट बनवाए जा रहे हैं, लेकिन कामकाजी महिलाओं की सुविधा के लिए कोई महिला टॉयलेट नहीं बनवाया है। अलवर में महिला मनोचिकित्सक डा. प्रियंका शर्मा ने बताया कि महिला-पुरुष टॉयलेट एक ही होने व उसके गंदा होने के कारण वे अस्पताल में टॉयलेट नहीं जाती।
पड़ताल में यह आया सामने… श्रीगंगानगर: हाईकोर्ट के आदेश के बाद भीड़भाड़ वाले एरिया में चल टॉयलेट की व्यवस्था की है। भरतपुर: हाईकोर्ट के आदेश के बाद शहर में महिला टॉयलेट के लिए स्थान चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू।
बारां: शहर में 8 सुलभ कॉम्प्लेक्स हैं, लेकिन शाम सात बजे बंद हो जाते हैं। महिलाओं को खुले में टॉयलेट जाना पड़ता है। सवाईमाधोपुर: जिला रसद विभाग में निरीक्षक पूजा मीणा ने बताया कि सरकारी कार्यालयों में टॉयलेट की सफाई नहीं होती।
ये बोले विधायक भीलवाड़ा विधायक अशोक कोठारी ने बताया कि शहर में सात टॉयलेट बनवा रहे हैं। इनमें से तीन वातानुकूलित होंगे। भरतपुर सांसदसंजना जाटव ने कहा कि वे अपने कोटे से भरतपुर में महिला टॉयलेट बनवाएंगी। भरतपुर विधायक सुभाष गर्ग ने कहा कि नगर निगम से महिला टॉयलेट बनवाए जाएंगे।
बारां विधायक राधेश्याम बैरवा ने कहा कि महिला टॉयलेट बनवाएंगे। अजमेर उत्तर विधायक और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि नगर निगम से विधायक कोटे से और निगम के बजट से महिला टॉयलेट बनवाने को कहा है। अजमेर दक्षिण विधायक अनिता भदेल ने भी महिला टॉयलेट बनवाने के लिए महापौर को पत्र भेजा है।