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धनेश्वरी ने बताया कि गांव की कई महिलाएं अब गौठान से जुड़ रही हैं। यहां जिन चीजों का उत्पादन किया जाता है, उनके लिए पहले महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां काम करने वाली महिलाएं 5वीं से 10वीं तक पढ़ी-लिखी हैं, लेकिन वह प्रबंधन संबंधी कामों को बखूबी संभालना जानती हैं। धनेश्वरी कहती हैं कि इस कार्य के लिए नगर निगम अधिकारी अरुण ध्रुव और कलेक्टर का भी पूरा सहयोग मिलता है। समूह की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट, गमला, गुलाल, गोकाष्ठ आदि कई प्रोडक्ट भी तैयार कर रही हैं। यह भी पढ़ें