कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन डॉ. अजीत बाना ने बताया कि कार्डियक सर्जरी में वॉल्व रिप्लेसमेंट प्रोसीजर में आई नई तकनीकों पर विचार विमर्श करने के लिए इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। कॉन्फ्रेंस में देशभर से 150 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया। वहीं यूएसए से डॉ. जोसेफ, सिंगापुर से डॉ. वाइटली सोरोकिन और ऑस्ट्रेलिया से डॉ. डगलस वॉल ने भाग लिया।
पुराने कृत्रिम वॉल्व में ही इंप्लांट हो सकता है नया वॉल्व
दिल्ली के डॉ. रजनीश ने बताया कि भविष्य में 18 से 20 साल बाद दोबारा वॉल्व लगाने की जरूरत पड़ती है तो इस टिश्यू वॉल्व के अंदर ही दूसरा वॉल्व लगाया जा सकता है। मरीज को खून पतला करने की दवा भी नहीं लेनी पड़ती और वह आसानी सामान्य जीवन जी सकता है।
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नहीं होगा दोबारा होने वाली सर्जरी का खतरा
इस तकनीक की मदद से दोबारा वॉल्व लगाने के लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि ट्रांस कैथेटर की मदद से ही उनके खराब वॉल्व में नया वॉल्व लगाया जा सकता है। डॉ. अजीत बाना ने बताया कि इसकी मदद से मरीज की सर्जरी के बाद उसे भविष्य में होने वाली संभावित समस्याओं को पहले ही प्लान कर उसका इलाज जल्द से जल्द करने में मदद मिलेगी और मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकेगा।