घर में रखना है गैरकानूनी
गौरतलब है कि स्टार कछुए को घर में रखना या पालना गैरकानूनी है। स्टार कछुए संरक्षित प्रजाति के तहत आते हैं। इन्हें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की लुप्तप्राय प्रजातियों की लाल सूची में अतिसंवेदनशील के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह प्रजाति वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची चार में भी सूचीबद्ध है और भारत के भीतर या उससे बाहर इस प्रजाति का स्वामित्व और व्यावसायिक रूप से व्यापार करना अवैध है। इसे घर में रखने पर 7 साल की कैद का प्रावधान है। भारतीय स्टार कछुए 10 इंच तक बढ़ सकते हैं। विदेशों में पालतू जानवर के रूप में उपयोग के लिए बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए इन प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। इन कछुओं को पश्चिम बंगाल ले जाकर वहां से अवैध तरीके से बांग्लादेश पहुंचाया जाता है। इसके बाद ये कछुए चीन, हांगकांग, मलेशिया, थाईलैंड आदि देशों में सप्लाई किए जाते हैं। इन देशों में कछुए का मांस, सूप और चिप्स काफी पसंद किया जाता है। साथ ही इसके साथ ही इसके कवच से यौनवर्धक दवाएं और ड्रग्स बनाई जाती है।
गौरतलब है कि स्टार कछुए को घर में रखना या पालना गैरकानूनी है। स्टार कछुए संरक्षित प्रजाति के तहत आते हैं। इन्हें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की लुप्तप्राय प्रजातियों की लाल सूची में अतिसंवेदनशील के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह प्रजाति वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची चार में भी सूचीबद्ध है और भारत के भीतर या उससे बाहर इस प्रजाति का स्वामित्व और व्यावसायिक रूप से व्यापार करना अवैध है। इसे घर में रखने पर 7 साल की कैद का प्रावधान है। भारतीय स्टार कछुए 10 इंच तक बढ़ सकते हैं। विदेशों में पालतू जानवर के रूप में उपयोग के लिए बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए इन प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। इन कछुओं को पश्चिम बंगाल ले जाकर वहां से अवैध तरीके से बांग्लादेश पहुंचाया जाता है। इसके बाद ये कछुए चीन, हांगकांग, मलेशिया, थाईलैंड आदि देशों में सप्लाई किए जाते हैं। इन देशों में कछुए का मांस, सूप और चिप्स काफी पसंद किया जाता है। साथ ही इसके साथ ही इसके कवच से यौनवर्धक दवाएं और ड्रग्स बनाई जाती है।