आरोपियों के अधिवक्ता विपुल शर्मा और वेदांत शर्मा सहित अन्य ने विरोध करते हुए कहा कि एसओजी प्रकरण में मनमानी कर रही है। आरोपियों को तीन और चार मार्च को पक़ड़ा, लेकिन 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश नहीं किया। इसके अलावा प्रकरण सात साल से कम सजा से जुडे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में तय कर रखा है कि ऐसे मामलों में सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत पुलिस गिरफ्तारी से पूर्व नोटिस देगी या उसे तत्काल गिरफ्तारी का कारण बताना होगा। इस मामले में एसओजी ने इसकी अवहेलना की है। इस पर अदालत ने एसओजी से दोनों बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है।
पुलिस की ओर से आरोपियों को अदालत में पेश करने के दौरान कुछ वकील आक्रोशित हो गए। इस दौरान वकीलों ने कुछ आरोपियों से मारपीट की। जब पुलिस ने बीच-बचाव किया तो वकील पुलिस से भी भिड गए। वकीलों ने नारेबाजी करते हुए आरोपियों पर बेरोजगारों का हक मारने की बात कही।
Paper Leak Case : राजेन्द्र ने उगला राज… सुलझी SI भर्ती पेपरलीक की गुत्थी, पकड़े गए ‘बेईमान थानेदार’
एसओजी को आशंका थी कि कोर्ट परिसर में गिरफ्तार थानेदारों पर हमला हो सकता है। इसके चलते भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया। कोर्ट परिसर में शाम को भीड़ कम होने पर गिरफ्तार 6 महिला थानेदारों सहित 14 थानेदारों को कोर्ट लेकर पहुंची। लेकिन परीक्षा से पहले पेपर खरीदकर थानेदार बनने वालों के कोर्ट में आने की सूचना पर काफी लोग वहां जुट गए। पुलिस बल को सुरक्षित ले जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
नरेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, करणपाल गोदारा, विवेक भांभू, मनोहरलाल, गोपीराम, श्रवण कुमार, रोहिताश्व कुमार, प्रेम सुखी, एकता, भगवती, राजेश्वर, नारंगी और चंचल कुमारी।
कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा आज पहुंचेगी बांसवाड़ा, राहुल-खरगे करेंगे सभा