जयपुर

‘ओ री गौरैया…’ आखिर कहां गायब हो गई हैं घरेलू चिड़िया

विश्व गौरैया दिवस. जी हां, वही गौरैया जिसे आप और हम रोज फुदकते हुए देखते हैं. गौरैया संरक्षण के लिए बीस मार्च को गौरैया दिवस मनाया जाता है.

जयपुरMar 17, 2018 / 01:43 pm

Amit Sharma

Why we are missing Home Sparrows

कुछ दिनों बाद आप गौरैया की आवाज सिर्फ वीडियो डॉक्यूमेंट्रीज के प्ले बैक साउंड में ही सुन पायेंगे. कारण, इससे हर सुबह को गुलजार करने वाली गौरैया जल्दी ही लाल सूची में शामिल हो जाएंगी. जी नहीं, हम निगेटिव अप्रोच नहीं रख रहे, आगाह कर रहे हैं, आप सब को. शहरीकरण की होड़ में हम जंगल काटते गये.. और पंछियों का बसेरा उजड़ता चला गया.
 

पहले हर आंगन में पेड़ हुआ करते थे, अब कंक्रीट युग में गगनचुंबी इमारतों में किचन गार्डन और ड्राइंगरूम गार्डन का दौर है. ऐसे में गौरैया, जिसे होम स्पैरो या स्पैनिश स्पैरो कहा जाता था, धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही हैं. एक रिसर्च के मुताबिक मोबाइल टावर्स की तरंगे इनकी प्रजनन क्षमता पर असर डाल रही हैं. धीरे धीर उजड़ते आशियाने के चलते ये शहरों से अब गांवों की ओर पलायन कर रही हैं, पर अफसोस.. गांव भी कमोबेश शहर से ही स्वार्थी होते जा रहे हैं. बहुत से कीड़े मकौड़ों को खाकर ये पारिस्थिक संतुलन बनाकर हम मनुष्यों की मदद करती आ रहीं थीं, पर हमने ये भुला दिया. हू किल्ड माय चिल्ड्रन शॉर्ट फिल्म को देखें तो पता चलता है कि पेस्टीसाइट्स के इस्तेमाल से मरी इल्लियों को खाकर बड़ी संख्यां में गौरैया के बच्चों की मौत होती चली गई.
अगर आप ये चाहते हैं कि आने वाले समय में गौरैया आपके बच्चों की किताबों में सिमट कर न रह जाये, तो घर, कॉलोनी के आसपास जहां जगह मिले, पेड़ लगाइए. और साथ ही पत्रिका टीवी की विनम्र अपील है कि गर्मियों के देखते हुए परिंडे बांधिए.. ताकि ये पंछी प्यास से न मर जायें. चलते चलते याद दिलादें वो कहावत जो इन चिरियाओं को देखकर कही जाती थी-
राम जी की चिरिया, रामजी का खेत।
खाय ले चिरिया, भर-भर पेट।।
स्पेशल रिपोर्ट, पत्रिका टीवी.

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