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गैंगस्टर राजू ठेहट हत्याकांड मामले में आई बड़ी खबर
दोनों ने अलग-अलग गैंग बनाकर एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। इसके बाद राजू ठेहट के गिरोह ने मुकेश सौंथलिया के पास काम करने वाले शीशराम जाट की वर्ष 2006 में हत्या कर दी। शीशराम की हत्या के बाद मुकेश सौंथलिया व हरि बानूड़ा भी राजू ठेहट से दुश्मनी रखने लगे। शीशराम की हत्या का बदला लेने के लिए राजू ठेहट की पैरवी करने वाले गोपाल फोगावट की सीकर शहर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस वारदात में हिस्ट्रीशीटर आनंदपाल ने बलबीर बानुड़ा का सहयोग किया। तक से दोनों गिरोहों में खून की प्यास बढ़ गई। बलबीर बानूड़ा के साथी सुभाष बराल ने 2013 में सीकर जेल में राजू ठेहट पर हमला कर दिया। गोली राजू के जबड़े में फंस गई। यहां तक की जब उसे सीकर से जयपुर रैफर किया गया तो रास्ते में एम्बूलेंस भी दुर्घटनाग्रस्त हो गई, लेकिन राजू बच गया।
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इसके बाद राजू के गिरोह ने बीकानेर जेल में बंद आनंदपाल व बलबीर बानूड़ा पर 2014 में हमला करवाया। इसमें बलबीर बानूड़ा की मौत हो गई, जबकि आनंदपाल बच निकला। इसके बाद 2017 में आनंदपाल को एनकाउंटर में मार गिराया गया, लेकिन दोनों गिरोह में दरार कम होने की बजाय बढ़ती गई। बलबीर और आनंदपाल के बाद लोरेंस गिरोह सक्रिय हो गया। सुभाष बराल लोरेंस गिरोह में शामिल हो गया। पुलिस का मानना है कि लोरेंस, सुभाष बराल की राजू ठेहट की हत्या में भूमिका है।