बॉलीवुड में संघर्ष के दिनों में ही गुरुदत्त से उनकी अच्छी मित्रता हो गई। गुरुदत्त कहते थे, मैं कोई भी फिल्म बनाऊंगा, उसमें तुम्हे हीरो रखूंगा। ऐसे ही देव कहते थे, मैं जो भी फिल्म प्रोड्यूस करूंगा, उसमें डायरेक्टर आपको रखूंगा। उन्होंने वादा निभाया भी। नवकेतन की पहली फिल्म बाजी का निर्देशन उन्होंने गुरुदत्त को ही सौंपा। परिवार में देव साहब चार भाई थे। सबसे बड़े वकील मनमोहन आनंद, फिर चेतन आनंद, देव और सबसे छोटे विजय आनंद। मशहूर निर्माता निर्देशक शेखर कपूर की मां शीलकांता कपूर उनकी सगी बहन थीं।
देव साहब की फिटनेस के सभी मुरीद थे। उनके करीबी मोहन चूड़ीवाला बताते हैं, उन्हें कोई इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। उन्हें 9वीं मंजिल पर जाना था, लेकिन लिफ्ट की बजाय 76 वर्ष की उम्र में वे सीढिय़ों से चलकर पहुंचे।