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जयपुर

जब Sushma Swaraj से बोले Atal Bihari Vajpayee, ‘तुम्हें दिल्ली की गद्दी संभालनी है’

राहुल सिंह
जब भाजपा को लगने लगा था कि नवंबर में ही होने वाले विधानसभा चुनाव में वह सरकार नहीं बचा पाएगी तो भाजपा नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) और लालकृष्ण आडवाणी ( Lal Krishna Advani ) ने विचार विमर्श किया और तय किया कि साहिब सिंह को हटाकर सुषमा ( Sushma Swaraj ) को सीएम बनाया जाए। तब वाजपेयी ने सुषमा को फोन किया और बोले कि सुषमा तुम्हें दिल्ली की सीएम बना रहे है और तुम्हें सरकार वापस लानी है।

जयपुरAug 08, 2019 / 09:17 am

rahul

बात अक्टूबर 1998 की है, जब दिल्ली में प्याज के दामों में बेतहाशा बढोत्तरी हुई और तत्कालीन सीएम साहिब सिंह वर्मा ( Sahib Singh Verma ) उस पर कंटोल नहीं कर सके। भाजपा को लगने लगा था कि नवंबर में ही होने वाले विधानसभा चुनाव में वह सरकार नहीं बचा पाएगी तो भाजपा नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) और लालकृष्ण आडवाणी ( Lal Krishna Advani ) ने विचार विमर्श किया और तय किया कि साहिब सिंह को हटाकर सुषमा ( sushma swaraj ) को सीएम बनाया जाए। तब वाजपेयी ने सुषमा को फोन किया और बोले कि सुषमा तुम्हें दिल्ली की सीएम बना रहे है और तुम्हें सरकार वापस लानी है।
13 अक्टूबर को सुषमा स्वराज को उस कुर्सी पर बिठाया। लेकिन, उसी वर्ष 13 अक्टूबर को उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया गया। इसके बाद पार्टी उन्हीं के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह दिल्ली की सत्ता में भाजपा की वापसी कराने में असफल रहीं। विधानसभा चुनाव में भाजपा की पराजय के बाद वह तीन दिसंबर 1998 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 53 दिनों तक दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद वह केंद्र की सियासत में वापस लौट गईं।
हरियाणा के अंबाला से राजनीतिक सफर शुरू करने वाली सुषमा स्वराज का दिल्ली से गहरा नाता रहा है। वह दिल्ली की मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचने वाली पहली महिला थीं। मुख्यमंत्री बनने से पहले वह दो बार दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री बनी थीं। बाद में वह दिल्ली की सियासत से दूर चली गईं, लेकिन यहां के भाजपा कार्यकर्ताओं से उनका नजदीकी संबंध बना रहा। सुषमा पहली बार दिल्ली के रास्ते लोकसभा पहुंची थीं। पार्टी ने उन्हें 1996 के लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था।
उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल को पराजित किया था। उन्हें 13 दिनों की वाजपेयी सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्री बनाया गया था। मार्च 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने फिर से उन्हें दक्षिणी दिल्ली सीट से मैदान में उतारा। वह कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन को हराकर दूसरी बार लोकसभा पहुंचीं और उन्हें एक बार फिर से सूचना व प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। इसके साथ ही उन्हें दूरसंचार विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
बेशक वह दिल्ली की चुनावी राजनीति से दूर चली गईं पर दो बार सांसद और मुख्यमंत्री रहने की वजह से यहां के कार्यकर्ताओं के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव हो गया और जीवन के आखिर तक वह उनसे जुड़ी रहीं। प्रत्येक चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के लिए वह बढ़ चढ़कर चुनाव प्रचार करती थीं और किसी भी तरह के परामर्श के लिए कार्यकर्ता भी बेहिचक उनके पास पहुंच जाते थे।

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