अभी किसान अच्छे एरिया में गेहूं की खेती में जुटे हुए हैं। अभी गेहूं की अगेती फसलों की बुवाई चल रही है। लेकिन अच्छी पैदावार के लिए किसानों को गेहूं की बुवाई के सही समय, बीज के बीच की दूरी, बीज शोधन और बुवाई करने की सही विधि की जानकारी होना जरूरी है। तभी जाकर वो सफल तौर पर गेहूं की अच्छी खेती करके अच्छे उत्पादन से अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
मिट्टी में नमी बेहद जरूरी
सबसे पहले बात करते हैं गेहूं की बुवाई की। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक किसान जब गेहूं की फसल के लिए बुवाई करे तो खेत में मिट्टी में नमी बेहद जरूरी है। समय पर बुवाई करके किसान सही समय पर उपज की अच्छी पैदावार कर सकते हैं। अगर आप ऐसी किस्म की खेती कर रहे है जिसे पकने में समय ज्यादा लगता है तो ऐसी किस्मों की बुवाई समय से करना बेहद जरूरी होता है। अगर बुवाई में देरी हो जाती है तो गेहूं उत्पादन में गिरावट की आशंका बनी रहती है। दिसंबर और जनवरी में गेहूं की बुवाई करने से पैदावार में कमी होती है। जबकि 15 नवंबर तक का समय गेहूं की बुवाई के लिए अच्छा माना जाता है।
समय पर बुवाई बेहद जरूरी
समय पर बुवाई के साथ किसानों को पहले बीज का जमाव प्रतिशत भी एक बार जरूर देख लेना चाहिए। सरकारी अनुसंधान केन्द्रों से किसान नि:शुल्क ही इस बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। बुवाई के समय इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि अगर बीज की अंकुरण क्षमता कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा ली जाए। प्रमाणित बीज का उपयोग ही बेहतर उत्पादन दे सकता है। ऐसे में बुवाई से पहले बीज की जानकारी जुटाकर प्रमाणित बीज का उपयोग करने की सलाह कृषि विशेषज्ञों की ओर से सामान्यतया किसानों को दी जाती है। बुवाई के समय खेत में पंक्तियों के बीच की दूरी 18 से 20 सेंटीमीटर तक जबकि 5 सेंटीमीटर तक गहराई रखना बेहतर रहता है।